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‘माफी मांगें नहीं तो पड़ेगा महंगा’, VIP के मुकेश सहनी ने बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष को क्यों दी चुनौती?

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसे लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारी तेज कर दी है। इस बीच वीआईपी के मुकेश सहनी ने बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष दिलीप जायसवाल को चुनौती दी।

मुकेश सहनी। (File Photo)
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने बुधवार को बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष दिलीप जायसवाल को बड़ी चुनौती दी। उन्होंने दिलीप जायसवाल द्वारा 'झोला उठाए जाने' वाला बताए जाने पर कहा कि निषाद समाज अब 'लोडर' नहीं, लीडर बनने वाला है। उन्होंने कहा कि बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अपनी बात वापस लें, नहीं तो उन्हें निषाद को झोला उठाने वाला कहना महंगा पड़ेगा। इस शब्द के लिए भाजपा अध्यक्ष को माफी मांगनी चाहिए, यह पूरे निषाद समाज और बिहार का अपमान है। वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि निषाद समाज ने वीआईपी पार्टी बना ली है और अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने भाजपा के निषाद आयोग बनाए जाने की घोषणा को झुनझुना बताते हुए कहा कि बिहार में 20 सालों से एनडीए की सरकार है, लेकिन इसकी याद नहीं आई। अब जब दो-चार महीने में इनकी विदाई होने वाली है तो यह निषाद समाज को बरगलाने के लिए झुनझुना की बात कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : बिहार में मुकेश सहनी का डिप्टी सीएम पद पर दावा, प्रेशर पॉलिटिक्स या कुछ और?

जानें मुकेश सहनी ने क्या कहा?

बिहार के पूर्व मंत्री सहनी ने भाजपा को सलाह देते हुए कहा कि अगर उन्हें निषाद समाज का वोट चाहिए तो अन्य राज्यों की तरह ही बिहार में निषाद समाज को आरक्षण दे। उन्होंने कहा कि मेरी लड़ाई निषादों के हक और अधिकार दिलाने की है, जिससे पीछे नहीं हटूंगा। उन्होंने बीजेपी के निषाद महासम्मेलन किए जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा इस सम्मेलन के जरिए भीड़ जुटा सकती है, लेकिन अब उन्हें निषादों का वोट नहीं मिल सकता है। निषाद समाज को भाजपा ने शुरू से बरगलाने का काम किया है। आखिर केंद्र में भाजपा की सरकार है, प्रदेश में सरकार है तो निषाद समाज को आरक्षण क्यों नहीं दे देती है?

अपने अधिकार के लिए संघर्ष करेगा निषाद समुदाय : VIP प्रमुख

उन्होंने कहा कि कोई अपने समाज के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है तो वह झोला नहीं उठाता, वह अपने समाज के प्रति जिम्मेदारी एवं कर्तव्य का निर्वाह करता है और यह मैं जीवनभर करूंगा। बिहार के निषाद और अति पिछड़े अब इतने कमजोर नहीं हैं कि वे आपका झंडा उठाएंगे, अब वे अपने अधिकार के लिए संघर्ष करेंगे। यह भी पढ़ें : बिहार में 4 सीटों वाले मुकेश सहनी मांग रहे हैं 60 सीटें, बोले-‘150 सीटों पर हूं मजबूत’, समझें पूरी गणित


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