सौरव कुमार, पटना।
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावी साल के मद्देनजर इस बार संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती सभी पार्टियों के लिए काफी अहम है। आंबेडकर जयंती पर कार्यक्रम के जरिए दलितों का हितैशी बनने में सभी पार्टियां लगी हुई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने भीम संवाद के नाम से एक दिन पहले ही कार्यक्रम कर के अपनी ताकत दिखाई। वहीं, आज राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) की ओर से बापू सभागार में आंबेडकर जयंती मनाई गई।
'आज से एनडीए गठबंध से हमारा कोई नाता नहीं'
इस दौरान रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने बिहार चुनाव से पहले बड़ी घोषणा की। पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोजपा प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने ऐलान किया कि आज से एनडीए गठबंधन से हमारा कोई नाता नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि 'मैं खुले मंच से इसकी घोषणा करता हूं। हम एक नया बिहार बनाएंगे और 243 सीट पर पार्टी को मजबूत करेंगे। अब तक हमने 22 जिले का भ्रमण किया है, ज्यादातर जिले में लोग सरकार बदलने की तैयारी में है। विधानसभा चुनाव में जहां हमें सम्मान मिलेगा, उस गठबंधन में हम लोग जाएंगे।' आज राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी एवं दलित सेना की ओर से पटना के गांधी मैदान के पास स्थित बापू सभागार में संविधान निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर की जयंती समारोह एवं पार्टी का संकल्प महासम्मेलन का आयोजन किया गया था। उस दौरान पशुपति पारस ने ये बाते कही।
'एनडीए के लोगों ने हमारी पार्टी के साथ अन्याय किया'
एनडीए छोड़ने के अपने फैसले पर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने मीडिया से कहा, 'मैं 2014 से लेकर आज तक एनडीए के साथ था। हम एनडीए के वफादार सहयोगी थे। आपने देखा होगा कि जब लोकसभा चुनाव हुए थे, तो एनडीए के लोगों ने हमारी पार्टी के साथ अन्याय किया क्योंकि यह दलित पार्टी है। फिर भी, राष्ट्रहित में हमारी पार्टी ने चुनाव में एनडीए का समर्थन करने का फैसला किया। 6-8 महीने बाद जब भी बिहार में एनडीए की बैठक हुई, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष ने बयान जारी किया कि वे बिहार में '5 पांडव' हैं, उन्होंने कहीं भी हमारी पार्टी का नाम नहीं लिया। इसलिए हम मजबूर थे। हम लोगों के बीच जा रहे हैं और सदस्यता अभियान शुरू कर दिया है। हम सभी 243 सीटों के लिए तैयारी कर रहे हैं। अगर महागठबंधन हमें सही समय पर उचित सम्मान देता है तो हम भविष्य में राजनीति के बारे में जरूर सोचेंगे।'
रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग
उन्होंने भारत सरकार से पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग की। बता दें लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए से पशुपति पारस अलग हो गए थे। उन्होने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया था। दरअसल, बीते लोकसभा चुनाव में एनडीए के सीट बंटवारे में एक भी सीट पशुपति पारस की पार्टी को नहीं मिली थी, जबकि चिराग पासवान की एलजेपी (आर) को 5 सीटें मिली थी। जिसके बाद से पशुपति पारस नाराज चल रहे थे। हाल ही में दही-चूड़ा भोज पर उनके घर पर राजद चीफ लालू यादव भी पहुंचे थे, जिसके बाद से उनके महागठबंधन जाने की अटकलें तेज हो गई थीं।
पासवान का नेता कौन?
गौरतलब है कि लोक जन शक्ति पार्टी (लोजपा) दो गुटों में बंट चुका है। एक गुट लोजपा (रामविलास) है जिसके अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान हैं, वहीं दूसरा गुट रालोजपा है जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस हैं। अब दोनों गुट ये दिखाने के प्रयास में है कि पासवान समाज का सच्चा हितैशी कौन है? हालांकि इस कार्यक्रम में पहुंचे कई लोगों ने चिराग पासवान की भी तारीफ की और कहा कि वह अच्छे नेता हैं, लेकिन कई लोगों ने चिराग पासवान की जमकर आलोचना भी की और कहा कि वह बहुत सेल्फिश नेता हैं, हमारे असली नेता पशुपति पारस ही हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस पीछे रह गए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में पीछे रहने के मूड में नहीं हैं और चिराग पासवान से दो-दो हाथ करने की तैयारी कर में जुट गए हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पासवान समुदाय अपना नेता किसे मानता है? हालांकि, इसका नतीजा बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही सामने आएगा।