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क्या होता है प्रोटेम स्पीकर? क्या होता है इनका काम, जानिए कौन से नाम आ रहे सामने

Protem Speaker: बिहार में कल नई सरकार का शपथ ग्रहण होने वाला है. इसके पहले प्रोटेम स्पीकर के नाम पर चर्चा तेज हो गई है. इसमें कई नाम सामने आ रहे हैं. इससे पहले ये जान लीजिए कि प्रोटेम स्पीकर कौन होता है?

Photo Credit- News24GFX

Protem Speaker: बिहार में 20 नवंबर को नीतीश कुमार के साथ नई बिहार सरकार शपथ लेने वाली है. इसके लिए गांधी मैदान को चुना गया है. इससे पहले स्पीकर ही प्रोटेम स्पीकर को लेकर चर्चा होने लगी है. इसमें तीन नाम सामने आए हैं. जिसमें बिजेंद्र यादव, प्रेम कुमार, और हरिनारायण सिंह का नाम सामने आ रहा है. यह भले ही अस्थायी पद है, लेकिन इसके लिए सीनियरिटी और अनुभव को देखा जाता है. इस पद पर पक्ष और विपक्ष अपने सदस्य को बैठाना चाहते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. दरअसल, इस पद को संविधान में कई शक्तियां दी गई हैं. जानिए ये पद क्यों खास है?

क्या होता है प्रोटेम स्पीकर?

प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर लिया गया है. इसका मतलब होता है 'कुछ समय के लिए'. यानी ये स्पीकर कुछ समय के लिए नियुक्त किए जाते हैं. प्रोटेम स्पीकर को राज्यपाल चुनता है. प्रोटेम स्पीकर को ऐसी स्थिति में चुना जाता है जब तक लोकसभा या विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नहीं चुन लेती है. प्रोटेम स्पीकर नए जीते हुए सांसदों को शपथ दिलवाता है. कहा जा सकता है कि शपथ ग्रहण का पूरा कार्यक्रम इन्हीं की देखरेख में किया जाता है.

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संविधान में क्या है प्रोटेम स्पीकर का पद?

संविधान में प्रोटेस स्पीकर को लेकर सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि, प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति बिहार के राज्यपाल कर सकते हैं. यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 180(1) में मिलता है. चुनाव के बाद ही ऐसे नामों की लिस्ट बनाई जाती है, जो प्रोटेम स्पीकर बनने की रेस में आगे होते हैं. अगर इनकी नियुक्ति मनमाने तरीके से होती है तो इसके लिए कोर्ट का सहारा भी लिया जा सकता है.

इस पद के लिए चुनाव 20 नवंबर से पहले ही किया जाना है, क्योंकि 20 में नई सरकार का शपथ ग्रहण होना है. जैसे ही कोई स्थायी स्पीकर मिल जाता है, उसके बाद प्रोटेम स्पीकर की जरूरत नहीं रहती है.

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