पटना के पारस हॉस्पिटल में हुई चंदन मिश्रा की हत्या न केवल एक सनसनीखेज वारदात थी, बल्कि यह बिहार की आपराधिक दुनिया की एक गहरी और जटिल साजिश की परतें भी खोल रही है। पुलिस ने इस मामले में गोली चलाने वाले शूटरों की पहचान कर ली है। जानकारी के अनुसार, 5 शूटरों में से तीन पटना के रहने वाले हैं, जबकि दो की जड़ें बक्सर जिले से जुड़ी हैं। हालांकि, अब तक किसी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने जल्द मामले के खुलासे का भरोसा जताया है।
जेल से रची गई हत्या की साजिश
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड कोई और नहीं, बल्कि बक्सर जिले का कुख्यात अपराधी शेरू सिंह है, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जेल में बंद है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, चंदन मिश्रा और शेरू सिंह कभी एक-दूसरे के सबसे करीबी सहयोगी थे। दोनों ने अपराध की दुनिया में एक साथ कदम रखा था, लेकिन समय के साथ दोनों के रास्ते अलग हो गए।
एक समय बक्सर कोर्ट में पेशी के दौरान शेरू और चंदन ने एक सैप जवान पर गोली चलाकर फरार होने की कोशिश की थी। उस दौरान शेरू तो भाग निकला, लेकिन चंदन पकड़ा गया। बाद में शेरू भी गिरफ्तार हुआ और दोनों को बक्सर से बेउर जेल भेजा गया। इसी जेल में शेरू ने अपना अलग गिरोह बना लिया और चंदन से दूरी बनती चली गई।
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वर्चस्व की लड़ाई बनी दुश्मनी
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि चंदन और शेरू के बीच वर्चस्व को लेकर मनमुटाव बढ़ता गया था, जो धीरे-धीरे दुश्मनी में तब्दील हो गया। तनिष्क ज्वेलरी लूटकांड और बंगाल सोना लूटकांड जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों के बाद शेरू की पहचान एक स्वतंत्र गिरोह के सरगना के रूप में होने लगी थी।
इस दुश्मनी का अंत चंदन मिश्रा की हत्या के रूप में सामने आया। चंदन, जो बक्सर जिले के सोनबरसा गांव का निवासी था, कई सनसनीखेज हत्याओं के मामलों में दोषी ठहराया गया था, जिनमें चुना व्यवसायी राजेंद्र केसरी, जेलकर्मी हैदर अली, भरत राय और शिवजी खरवार की हत्या शामिल थी। इन मामलों में उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी।
इलाज के नाम पर पैरोल, अस्पताल में मर्डर
हाल ही में चंदन मिश्रा को फिस्टुला के इलाज के नाम पर 21 दिनों की पैरोल मिली थी। इसी दौरान उसे पटना के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। अब तक की जांच में यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह हत्या पूर्व नियोजित गैंगवार का हिस्सा थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार पारस हॉस्पिटल में कुख्यात चन्दन मिश्रा को गोली मारने वाले शूटरों को फुलवारी शरीफ का कुख्यात तौसीफ रजा उर्फ बादशाह लीड कर रहा था। उसके अलावा फुलवारी का ही आकिब मालिक और बक्सर का बलवंत सिंह है। इसके अलावा अन्य दो शूटरो की शिनाख्त कर ली गई हैं। एसआईटी की अलग-अलग टीम लगातार उनके ठिकानो पर छापेमारी कर रही है। इस क्रम 7 संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है। तौसीफ के बारे में कहा जाता है की वो एक राजनीतिक दल से से जुडा था. उसके कई पोस्टर भी वायरल हो रहे हैं। एक पोस्टर में तौसीफ लोजपा के पूर्व सांसद प्रिंस पासवान के साथ नजर आ रहा है।
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अब सबसे बड़ा सवाल क्या है?
अब सवाल यह है कि क्या यह हत्या सिर्फ व्यक्तिगत दुश्मनी थी या बिहार की अंडरवर्ल्ड राजनीति में चल रहे शक्ति संघर्ष का हिस्सा? क्या जेल में बैठे अपराधी आज भी बाहर की दुनिया को नियंत्रित कर रहे हैं? पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है कि क्या जेल प्रशासन या पैरोल प्रक्रिया में कहीं कोई चूक हुई, जिससे एक सजायाफ्ता अपराधी आराम से अस्पताल में इलाज के नाम पर पहुंच सका।