सौरव कुमार, बिहारPatna High Court Judgement In Forced Marriageh Case: गन पॉइंट पर लेकर किसी महिला की जबरन मांग भरना शादी नहीं कहलाएगी। ऐसा विवाह हिन्दू कानून के तहत वैध नहीं है। कोई भी शादी तभी वैध मानी जाएगी, जब दूल्हा दुल्हन अपनी मर्जी से अग्नि के चारों ओर फेर लें। मंगलसूत्र, वरमाला पहनाकर मांग भरी जाए। इसलिए सेना के जवान की शादी को अवैध करार दिया जाता है। यह फैसला बिहार की पटना हाईकोर्ट ने सुनाया है। जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की अपील पर सुनवाई करते हुए शादी को पूरी तरह अमान्य करार दिया।
2013 में किडनैप करके कराई गई थी शादी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 10 नवंबर को हाईकोर्ट में केस की सुनवाई हुई। गुरुवार को हाईकोर्ट ने ऑर्डर जारी किया, जिसकी कॉपी आज सामने आई। मामला 30 जून 2013 का है। रविकांत सेना में सिग्नलमैन हैं। 10 साल पहले लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में पूजा के बाद लौटते समय उसे किडनैप कर लिया गया। उसे मंदिर में ही गन पॉइंट पर लेकर लड़की की मांग में सिंदूर भरने के लिए मजबूर किया गया। रविकांत ने इस जबरन शादी को रद्द कराने के लिए पहले फैमिली कोर्ट में आवेदन किया। 27 जनवरी 2020 को फैमिली कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इस फैसले के खिलाफ रविकांत ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दी।
लेटेस्ट खबरों के लिए फॉलो करें News24 का WhatsApp Channel
फैमिली कोर्ट के फैसले को गलत ठहराया गया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जिस लड़की के साथ रविकांत की शादी हुई, वह हाईकोर्ट में साबित नहीं कर पाई कि उसका 'सप्तपदी' अनुष्ठान पूरा हुआ था। गवाही देने वाले पुजारी को भी शादी के बारे में कोई जानकारी थी। न ही वह उस जगह के बारे में बता पाया, जहां शादी हुई थी। इसे ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने शादी को अमान्य मानते हुए रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण था। देश में हिंदू मैरिज एक्ट लागू है। इस एक्ट के तहत शादी करना वैध है, लेकिन कोई विवाह तब तक पूर्ण नहीं माना जाएगा, जब तक पवित्र अग्नि के फेरे दूल्हा-दुल्हन नहीं ले लेते। अगर सप्तपदी की यह प्रक्रिया पूरी नहीं होगी तो शादी पूरी नहीं होगी।