Chirag Paswan Pashupati Paras News: बिहार एनडीए के दो नेता फिर एक सुर ही बात करने लगे हैं। उनका रिश्ता चाचा-भतीजे का है, लेकिन दोनों की बातें ही एनडीए की टेंशन बढ़ाने वाली हैं। दरअसल बात चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस की हो रही है। झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए की सहयोगी पार्टियां दांव चलने में जुटी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी भी झारखंड का चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जबकि झारखंड के बीजेपी सहप्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने 28 सितंबर को ऐलान किया था कि बीजेपी राज्य में सुदेश महतो की आजसू और नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। हिमंता के इस बयान के बाद ही चिराग पासवान और पशुपति पारस का बयान आया है। दोनों नेता एक सुर में बात कर रहे हैं।
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पशुपति ने की धोखे की बात
चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने कहा है कि अगर एनडीए में उचित सम्मान नहीं मिला तो पार्टी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। पशुपति पारस ने कहा कि लोकसभा चुनाव में धोखा हुआ, लेकिन पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पशुपति पारस ने झारखंड चुनाव में भी बीजेपी से अपने लिए सीट मांगी है। पारस ने नाराजगी जताते हुए लोकसभा चुनाव में उचित सम्मान नहीं मिलने को धोखा करार दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड में पार्टी अध्यक्ष की सक्रियता के चलते हुए एक सीट तो जरूर मिलेगी। साफ है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भी पशुपति पारस ने अपना दावा पेश कर दिया है।
झारखंड चुनाव के लिए एनडीए गठबंधन पितृ पक्ष गुजरने का इंतजार कर रहा है। माना जा रहा है कि पितृ पक्ष की समाप्ति के बाद औपचारिक तौर पर गठबंधन का ऐलान हो सकता है। इस बीच रविवार को नीतीश कुमार दो दिन के दिल्ली दौरे पर पहुंचे। देखना ये है कि बीजेपी झारखंड में चिराग और पशुपति को अपने साथ लेती है कि नहीं। जून 2024 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद चिराग पासवान का कई मुद्दों पर स्टैंड बीजेपी से अलग था। आरक्षण, वक्फ बोर्ड और जाति जनगणना के खिलाफ चिराग ने बीजेपी के स्टैंड का विरोध किया था।
पशुपति को बीजेपी ने किया एक्टिव
चिराग पासवान के बदलते तेवर को देखते हुए अमित शाह ने दिल्ली में उनके चाचा पशुपति पारस से मुलाकात की थी, बाद में वे चिराग पासवान से भी मिले थे। एनडीए के अहम सहयोगी जीतन राम मांझी ने भी पशुपति का पक्ष लिया था और कहा था कि वे एनडीए का अहम हिस्सा हैं। हालांकि पशुपति के तेवर अब बदले हुए हैं। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान के साथ गठबंधन किया था, जबकि पशुपति को कोई सीट नहीं मिली थी। पशुपति पारस अब इसे धोखा करार दे रहे हैं। देखना होगा कि बीजेपी चिराग और पशुपति के बदले तेवरों से कैसे निपटती है।