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बिहार में टीचर की विदाई पर फूट-फूटकर रोए बच्चे, ढोल-नगाड़ों के साथ निकाली बारात; जानें मामला

Bihar News: बिहार में एक टीचर को बच्चों ने तबादला होने के बाद अनोखी विदाई दी। ढोल-नगाड़ों के साथ उनकी बारात निकाली और बच्चे फूट-फूटकर रोए। मामला बिहार के नालंदा जिले का है। विस्तार से इसके बारे में जानते हैं।

Nalanda News: (राजकुमार मिश्रा, नालंदा) बिहार के नालंदा में भावुक कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक को तबादला होने पर बच्चों ने ढोल-नगाड़ों के साथ विदा किया। दूल्हे की तरह उनकी बारात निकाली गई और इस दौरान स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं फूट-फूटकर रोते दिखे। यह मामला नालंदा जिले के अंतर्गत आते परवलपुर प्रखंड स्थित डुमरी मध्य विधालय का है, जहां स्कूल के शिक्षक आदित्य नारायण शर्मा का विदाई समारोह आयोजित किया गया था। यह भी पढ़ें:Pune Bus Misdeed Case में आरोपी के वकील का बड़ा खुलासा, सहमति से बने संबंध; रेप का दावा झूठा पिछले 14 वर्षों से डुमरी मध्य विधायलय में शिक्षक के पद पर कार्यरत रहे आदित्य शर्मा का छात्र-छात्राओं के अलावा स्थानीय लोगों से भी अच्छा लगाव था। विदाई के दौरान उनकी गाड़ी को दूल्हे की तरह सजाया गया था। इस दौरान बच्चे विदाई गीत गाते दिखे। स्कूल के प्राचार्य प्रदीप कुमार के अनुसार इस दौरान भोज का भी आयोजन किया गया। यह भी पढ़ें:Pune Bus Misdeed Case के आरोपी का बड़ा खुलासा, रिश्तेदार से बोला- गलती हो गई उनके तबादले की खबर सुनकर पूरा गांव भावुक हो उठा था। छात्र-छात्राएं विदाई समारोह में भावुक होकर उनसे लिपट गए। यह आयोजन पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। आदित्य नारायण शर्मा ने इस स्कूल में 14 अगस्त 2010 को ज्वाइन किया था। 28 फरवरी 2025 तक इस विद्यालय में सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने न केवल बच्चों को शिक्षित करने का काम किया, बल्कि निजी तौर पर भी बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। विदाई समारोह में हर शख्स की आंखों में आंसू दिखे। यह विदाई समारोह कम और शादी समारोह ज्यादा लग रहा था। उनकी गाड़ी को फूलों से सजाया गया था।

बच्चों को लगातार 6 घंटे तक पढ़ाते थे

पूरे गांव में गाड़ी ने चक्कर लगाया, डीजे की धुन पर ग्रामीण आगे बढ़ रहे थे। इस दौरान आयोजित सामूहिक भोज में गांव के लोग और स्कूल के टीचर शामिल हुए। इस दौरान सभी ने अपने प्रिय टीचर के साथ बिताए पलों को याद किया। यह ऐसा भावनात्मक पल था, जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सके। डुमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार के अनुसार उनका कार्यकाल तारीफ योग्य रहा। वे ऐसे टीचर थे, जो स्कूल आने के बाद कभी कुर्सी पर नहीं बैठते थे, लगातार 6 घंटे तक बच्चों को पढ़ाते थे।


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