Anand Mohan Singh Release Case: बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शनिवार को पूर्व आईएएस जी कृष्णैय्या की पत्नी टी उमा देवी ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। उनकी मांग है कि उनके पति के हत्यारे आनंद मोहन को जेल से रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर रोक लगाया जाए। यह भी कहा गया कि कानूनी तौर पर ये स्पष्ट है कि आजीवन कारावास का मतलब पूरी जिंदगी के लिए जेल की सजा है। इसे 14 साल की सजा के तौर पर नहीं माना जा सकता है। आजीवन कारावास का मतलब आखिरी सांस तक जेल में रहना।
उमा देवी ने पहले ही कहा था कि नीतीश सरकार ने बेहद गलत फैसला लिया है, अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है।
क्यों जेल से बाहर आया पूर्व सांसद?
10 अप्रैल को बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया। बीते सोमवार को 27 कैदियों की रिहाई के आदेश जारी किए गए। इनमें आनंद मोहन सिंह भी थे। 26 मई 2016 के जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) के अनुसार काम पर तैनात सरकारी कर्मचारी की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास पाए कैदी कर रिहाई नहीं होगी। वह सारी उम्र जेल में रहेगा। लेकिन 10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से 'काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या' का अंश हटा दिया। इसी का लाभ आनंद मोहन को मिला और जेल से बाहर आ गया।
29 साल पहले डीएम की हत्या में मिली थी फांसी
आनंद मोहन 1994 में हुए गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णय्या की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। जिस वक्त कृष्णय्या की हत्या हुई, उस वक्त वे पटना से गोपालगंज जा रहे थे। उसी वक्त मुजफ्फरपुर के पास गैंगस्टर छोट्टन शुक्ला के अंतिम संस्कार के दौरान भीड़ ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला।
आनंद मोहन को निचली अदालत ने भीड़ को कृष्णैय्या को लिंच करने के लिए उकसाने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि 2008 में हाईकोर्ट ने इसे उम्र कैद की सजा में बदल दिया था। उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी।
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