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बिहार चुनाव: आरजेडी ने अपनाई सपा की यह जातीय रणनीति, बीजेपी ने अलर्ट होकर शुरू किया सर्वे

Bihar Vidhansabha Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए और खासकर बीजेपी को घेरने के लिए आरजेडी ने एक नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। तेजस्वी यादव समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव की तर्ज पर टिकट वितरण की नीति अपना सकते हैं, जिससे बीजेपी की चुनौतियां और बढ़ गई हैं। यही वजह है कि अब बीजेपी भी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति को नए सिरे से तैयार कर रही है, ताकि अपने कोर वोट बैंक में सेंध लगने से बचा जा सके। पढ़िए दिल्ली से कुमार गौरव की रिपोर्ट।

Bihar Vidhansabha Election: बिहार में आरजेडी अब उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की रणनीति को अपनाती नज़र आ रही है। तेजस्वी यादव उसी फॉर्मूले पर आगे बढ़ रहे हैं, जिस पर अखिलेश यादव ने यूपी में काम किया - यानी कोर वोट बैंक के साथ साथ गैर-यादव ओबीसी और भाजपा के परंपरागत वोटर्स को साधने की कोशिश। तेजस्वी यादव ऐसे गैर-यादव नेताओं को टिकट देने की तैयारी कर रहे हैं, जो जातीय दृष्टिकोण से तीसरे या चौथे नंबर पर आते हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखतें हैं। इस बदलती रणनीति के चलते बीजेपी ने भी अब जातिगत आधार पर विधानसभा वार सर्वे शुरू कर दिया है ताकि आरजेडी की चाल को समय रहते काटा जा सके। बीजेपी को आशंका है कि अगर आरजेडी यादव वोटों पर निर्भरता घटाकर अन्य जातियों को तरजीह देती है, तो एनडीए का वोट बैंक खिसक सकता है। इसलिए बीजेपी उन जातियों में भी संभावित उम्मीदवारों की तलाश कर रही है जो परंपरागत तौर पर उसके साथ नहीं रहे हैं।

बीजेपी ने ओबीसी बहुल सीटों पर सर्वे शुरू किया

आरजेडी के रणनीतिकारों की नजर सबसे पहले वैश्य समाज पर है, जिसे अपने पाले में लाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। साथ ही,  जैसे ही राजद ने जदयू के समर्थन वाली जातियों में उम्मीदवार तलाशने शुरू किए, बीजेपी ने उसका जवाब देते हुए ओबीसी बहुल सीटों पर नए सर्वे शुरू कर दिए हैं। बीजेपी ने अपने नेताओं को अलग-अलग जातीय समुदायों के प्रभावशाली चेहरों से संवाद और संपर्क साधने की जिम्मेदारी दे दी है।

भाजपा ने “जंगलराज” नारे को दी हवा

पार्टी को भरोसा है कि नीतीश कुमार और बीजेपी का समर्थन करने वाली जातियां आरजेडी के जाल में नहीं फंसेंगी। इसी विश्वास के साथ पार्टी ने एक बार फिर “जंगलराज” के नारे को हवा देना भी शुरू कर दिया है।

पीएम मोदी को बड़ा ओबीसी चेहरा बनाने की तैयारी

आरजेडी के ओबीसी कार्ड को निष्क्रिय करने के लिए बीजेपी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा बताने में जुट गई है। साथ ही, पार्टी ने अपने ओबीसी वर्ग के सभी प्रमुख नेताओं को मैदान में उतारना शुरू कर दिया है। हालांकि बीजेपी को इस बात की चिंता भी है कि अगर तेजस्वी यादव ने अखिलेश यादव की तरह चुनाव के ठीक पहले उम्मीदवारों को बदलने का दांव चला तो क्या किया जाएगा? इसको लेकर पार्टी ने अब प्लान बी तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी हर सीट पर दो संभावित उम्मीदवारों के नाम तय करके रखेगी और परिस्थिति के अनुसार अंतिम उम्मीदवार का एलान करेगी।

हर विधानसभा क्षेत्र में 200 कार्यकर्ता की रणनीति

बीजेपी की बढ़ती सतर्कता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी पिछड़े वर्ग के जातीय सम्मेलनों का आयोजन करने जा रही है। इसके लिए बिहार के सभी जिलों में ओबीसी कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की जा रही है। हर विधानसभा क्षेत्र में 200 ओबीसी कार्यकर्ताओं को विशेष जिम्मेदारी दी जाएगी। ओबीसी मोर्चा युवाओं और महिलाओं के बीच भी विशेष सम्मान अभियान चलाएगा। पार्टी की योजना है कि 230 विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़े समाज से जुड़े 200-200 कार्यकर्ता सक्रिय रूप से काम करें। इन सभी तैयारियों का एकमात्र मकसद है- उत्तर प्रदेश जैसी गलती बिहार में न दोहराई जाए।  


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