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बिहार में बढ़ा सियासी ‘पारा’, CAG रिपोर्ट पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा

कांग्रेस नेता ने कहा कि बिहार में 13340 स्वास्थ्य सेवा पदों के लिए भर्ती लंबित पड़ी है, यहां स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। सीएजी रिपोर्ट में बताया गया कि सरकारी प्रयोगशालाओं में तकनीशियनों की कमी 100% तक पहुंच गई थी।

नीतीश कुमार और पवन खेड़ा
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले यहां प्रदेश का राजनीतिक पारा धीरे-धीरे चढ़ने लगा है। हाल ही में आई सीएजी रिपोर्ट पर अब कांग्रेस ने नीतीश सरकार को घेरा है। मंगलवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। कांग्रेस नेता ने X पर पोस्ट कर कहा कि मुख्य स्वास्थ्य विभागों में करीब 49% रिक्तियां हैं। रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि प्रदेश में केवल 58144 एलोपैथिक डॉक्टर थे, जबकि डब्ल्यूएचओ के मानदंडों के अनुसार 124919 डॉक्टरों की आवश्यकता थी। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में 13340 स्वास्थ्य सेवा पदों के लिए भर्ती लंबित पड़ी हैं।

मेडिकल कॉलेजों में 45% से 68% दवाओं की कमी

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकारी प्रयोगशालाओं में तकनीशियनों की कमी 100% तक पहुंच गई थी। केवल 14% से 63% आवश्यक दवाएं ही खरीदी गईं, जिससे ओपीडी और इनपेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) सेवाओं में कमी आई। उन्होंने कहा कि सीएजी रिपोर्ट में ये बताया गया कि मेडिकल कॉलेजों में 45% से 68% दवाओं की कमी थी।   ये भी पढ़ें: राबड़ी देवी से ईडी ने 4 घंटे में पूछे कौन-कौन से सवाल? लैंड फॉर जॉब मामले में ताजा अपडेट

करोड़ के बजट का केवल 69% ही खर्च किया गया

कांग्रेस नेता ने कहा कि रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि आवंटित ₹69,790.83 करोड़ के बजट का केवल 69% ही खर्च किया गया, जिससे ₹21,743.04 करोड़ का उपयोग नहीं हो पाया। स्वास्थ्य सेवा पर खर्च सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का केवल 1.33% से1.73% था, जो आवश्यक 2.5% से बहुत कम था। कांग्रेस नेता ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार सभी स्तरों पर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी थी, 47 उप-विभागों में एसडीएच की कमी थी। स्वीकृत 399 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में से केवल 191 का निर्माण किया गया था। इसके अतिरिक्त, 44% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) 24x7 चालू नहीं थे, और कई में आवश्यक सुविधाओं का अभाव था।


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