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बिहार

वक्फ बिल के समर्थन के बाद JDU में लगी इस्तीफों की झड़ी, बिहार चुनाव पर इसका कितना असर?

वक्फ संशोधन बिल 2024 को संसद ने मंजूरी प्रदान कर दी है। एनडीए में शामिल जेडीयू ने भी इस बिल का समर्थन किया है। बिल को समर्थन दिए जाने से जेडीयू में नाराजगी देखी जा रही है। पार्टी के कई नेता अपना इस्तीफा दे चुके हैं। माना जा रहा है कि इससे बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर असर पड़ेगा।

Author Edited By : Parmod chaudhary Updated: Apr 5, 2025 08:06
Nitish Kumar
बिहार के सीएम नीतीश कुमार।

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 संसद में पारित होने के बाद जनता दल यूनाइटेड (JDU) में नाराजगी देखने को मिल रही है। पार्टी के कई नेता इस्तीफा दे चुके हैं। नदीम अख्तर, मोहम्मद कासिम अंसारी, एम राजू नैयर, नवाज मलिक, तबरेज सिद्दीकी अलीग ने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है। इसके चलते पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने शनिवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। इस दौरान अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ असांरी, गुलाम गौस, अफाक अहमद खान समेत कई नेता मौजूद रहेंगे। ढाका से विधानसभा प्रत्याशी रहे मो. कासिम अंसारी और जमुई से जेडीयू अल्पसंख्यक प्रदेश सचिव मो. शाहनवाज मलिक ने 3 अप्रैल को ही रिजाइन कर दिया था।

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दोनों मुस्लिम नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को इस्तीफा भेजकर कहा था कि उनको विश्वास था कि नीतीश सेक्यूलर हैं। पार्टी ने वक्फ बिल को समर्थन देकर उनका विश्वास तोड़ा है। नवादा जिले में बड़ा झटका जेडीयू को लगा है। पार्टी के जिला सचिव मोहम्मद फिरोज खान ने रिजाइन किया है। खान ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दोहरा रवैया अपना रहे हैं। वे आरएसएस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। फिरोज ने दावा किया कि पार्टी के कई मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।

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नवादा में फिरोज खान की पहचान एक प्रभावशाली सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध काम कर रहे हैं। फिरोज खान ने पूरे बिहार के मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे नीतीश कुमार और जेडीयू से दूरी बना लें। उनके इस्तीफे के बाद माना जा रहा है कि कुछ और मुस्लिम नेता भी पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं।

पिछली बार उतारे थे 10 फीसदी मुस्लिम कैंडिडेट

जेडीयू के रणनीतिकारों के अनुसार 2020 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर जेडीयू से दूरी बनाकर चले। ऐसे में बड़ा सवाल ये भी है कि क्या जेडीयू 2025 के चुनाव में पिछले बार जितने मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी? बिहार में मुस्लिम वोटर 17-20 फीसदी हैं, ऐसे में जेडीयू की रणनीति 80 फीसदी वोटरों को साधने की है। पार्टी की वक्फ बिल के समर्थन को लेकर यही रणनीति मानी जा रही है। नीतीश कुमार के रुख में 2005 के बाद पहली बार बदलाव देखने को मिला है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उस दौरान 10 फीसदी कैंडिडेट मुस्लिम थे।

2020 में एनडीए को मिलीं 122 सीटें

2020 में एनडीए को 122 सीटें मिली थीं, जिनमें जेडीयू की 43 थीं। 7 सीटों पर मांझी की पार्टी हम ने चुनाव लड़ा था। जेडीयू ने 11 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे, जिनमें एक भी नहीं जीता था। बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोटरों की भूमिका अहम है। 3-4 दर्जन सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं। सीमांचल और मिथिलांचल में मुस्लिम वोटर निर्णायक हैं। सिवान, भागलपुर, गोपालगंज व बेगूसराय में भी मुस्लिम वोटर्स ज्यादा हैं। बिहार की 18 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर 30 से 60 फीसदी हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जेडीयू का वक्फ बिल को समर्थन करने ये वोटर छिटककर कांग्रेस, आरजेडी, जनसुराज में बंट सकते हैं।

First published on: Apr 05, 2025 08:06 AM

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