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Bihar: सम्पूर्ण क्रांति की भूमि पर खेल क्रांति का आगाज, भागलपुर में ‘खेलो इंडिया’ को लेकर ऐसी है तैयारी?

बिहार में पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन हो रहा है जिससे राज्य में खेल क्रांति की शुरुआत हो रही है। भागलपुर के सैंडिस कंपाउंड में बने अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैडमिंटन कोर्ट पर खिलाड़ी उत्साहित हैं।

Khelo India Youth Games 2025
बिहार में पहली बार आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भागलपुर के सैंडिस कम्पाउंड के नवनिर्मित इंडोर स्टेडियम के बैडमिंटन कोर्ट पर पूर्व अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी विवेक दिगम्बर श्रॉफ यहां बने 4 अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैडमिंटन कोर्ट का मुआयना करते नजर आते हैं। यहां देश के अलग-अलग राज्यों से आए खिलाड़ियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मापदंड के कोर्ट और सिंथेटिक मैट देखकर वह गदगद हैं। विवेक श्रॉफ कहते हैं कि मैं पहली बार बिहार आया हूं और यहां आकर महसूस कर रहा हूं कि मैंने बिहार के बारे में जितना कुछ पढ़ा और सुना था, उससे कहीं ज्यादा बेहतर पा रहा हूं। 56 वर्षीय विवेक श्रॉफ कहते हैं कि मैं बिहार को राजनीतिक आंदोलनों और क्रांति की भूमि के रूप में जानता रहा हूं, लेकिन अब बिहार में एक खेल क्रांति भी बड़ी खामोशी से आकार ले रही है।

विवेक श्रॉफ कंपीटिशन डायरेक्टर की क्या है भूमिका?

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बैडमिंटन की प्रतिस्पर्धा के लिए विवेक श्रॉफ को कंपीटिशन डायरेक्टर की भूमिका सौंपी गई है। बैडमिंटन को कभी अमीरों का खेल कहा जाता था। आज बिहार के बच्चों के लिए सरकार के स्तर पर उपलब्ध कराई गई बुनियादी सुविधाओं से दिख रहा है कि बैडमिंटन के कोर्ट भी अब बिहार में केवल कुलीन वर्ग से आने वाले बच्चों तक सीमित नहीं हैं। सैंडिस कम्पाउंड के इंडोर स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैडमिंटन कोर्ट में हर सुबह शहर के दर्जनों बच्चों का जमघट लगता है, जो समाज के अलग-अलग वर्गों से आते हैं। बैडमिंटन के पूर्व खिलाड़ी प्रशिक्षक की भूमिका में हैं। श्रॉफ ने बताया कि अगर युवाओं को खेल की तरफ मुखातिब करना है तो सबसे पहले उन्हें खेल की बुनियादी सुविधाएं मुहैया करानी पड़ती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर बिहार में खेलों के प्रति सरकार इसी जज्बे से काम करती रही तो वह दिन दूर नहीं जब बिहार के खिलाड़ी भी एशियाई और ओलंपिक खेलों में देश के लिए पदक जीतते नजर आएंगे। श्रॉफ ने आगे बताया कि मैंने यह भी सुना है कि बिहार सरकार ने अपने खिलाड़ियों के लिए पदक लाओ और नौकरी पाओ का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि जब हुनर को जीवन यापन का जरिया बना दिया जाए तो खेलों के लिए इससे आदर्श स्थिति नहीं हो सकती है।

खेल सुविधाओं को लेकर क्या बोलें खिलाड़ी

सैंडिस कंपाउंड के इंडोर स्टेडियम में उत्तर प्रदेश से बालिका वर्ग में बैडमिंटन की प्रतिस्पर्धा में भाग लेने आई स्नोवी गोस्वामी से जब यहां उपलब्ध खेल सुविधाओं के बारे में पूछा गया तो स्नोवी कहती हैं कि यहां सारी सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय लेवल की हैं। तमिलनाडु से आई बैडमिंटन खिलाड़ी अनन्या कहती हैं कि यहां खेलो इंडिया यूथ गेम्स को लेकर काफी अच्छी तैयारी की गई है। मुझे पहली बार बिहार आकर काफी अच्छा लग रहा है। यहां खिलाड़ियों के रहने, खाने-पीने और यहां तक कि घूमने की भी व्यवस्था की गई है। मैं बिहार की ऐतिहासिक धरोहरों को देखने की इच्छा लेकर आई हूं।

सरकार की तरफ से काफी सुविधाएं मिलीं- रणवीर सिंह 

इसी तरह बैडमिंटन के बालक वर्ग में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे रणवीर सिंह अपनी तैयारियों को लेकर कहते हैं कि हमें सरकार की तरफ से काफी सुविधाएं मिल रही हैं। ऐसे में मेरे जैसे खिलाड़ियों का सपना है कि हम बिहार के लिए पदक जीतें। हालांकि यहां कंपीटिशन काफी टफ है। यूपी के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी इशमीत सिंह ने कहा कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भागीदारी करना अपने आप में गर्व की बात है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 15 मई को सम्पन्न हो जाएगा। लेकिन बिहार में खेल और खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सांचे में ढालने की मुहिम न सिर्फ कम उम्र के खिलाड़ियों की बल्कि उनके अभिभावकों की आंखों में नए सपने संजोने लगा है। ये भी पढ़ें- Bihar Election में NDA की क्या होगी स्ट्रेटजी? JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने खोल दिए पत्ते


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