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‘मंथन 2023’ सम्मेलन के बाद सरकार ने रेलवे गुड्स शेड श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन को दी मंजूरी

सरकारी लाभ की मांग को लेकर भारतीय रेलवे माल गोदाम श्रमिक यूनियन के लंबे संघर्ष के बाद सफलता मिलने से राष्ट्रीय स्तर पर इस महासम्मेलन "मंथन 2023" का आयोजन किया गया

Railway Goods Shed Workers
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे माल गोदाम श्रमिक यूनियन द्वारा आयोजित और स्किल इंडिया, भारत सरकार द्वारा समर्थित, "रेलवे गुड्स शेड वर्कर्स मंथन 2023" डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। सभी प्रकार के सरकारी लाभ की मांग को लेकर भारतीय रेलवे माल गोदाम श्रमिक यूनियन के लंबे संघर्ष के बाद सफलता मिलने से राष्ट्रीय स्तर पर इस महासम्मेलन "मंथन 2023" का आयोजन किया गया। इस आयोजन को शुभकामनायें और समर्थन देते हुए उपस्थित थे भारत सरकार की माइनोरिटी अफेयर्स मंत्रालय के राज्य मंत्री जॉन बारला। साथ में उपस्थित थे मेंबर (फाइनेंस), प्रसार भारती और पूर्ब चीफ लेबर कमीशनर (सेंट्रल) डी पी इस नेगी, श्रम एवं कल्याण की डी जी डब्ल्यू बिभाग से उप श्रम कल्याण आयुक्त निरंजन कुमार, उप महानिदेशक डॉ. ओंकार शर्मा सहित कई मोजूद थे । भारतीय रेलवे माल गोदाम श्रमिक यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय की राज्य स्तरीय सलाहकार समिति के सदस्य, रेलवे जोन सलाहकार समिति के सदस्य, दूरसंचार सलाहकार समिति के सदस्य एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी डॉ. परिमल कांति मंडल, संगठन के उपाध्यक्ष इंदुशेखर चक्रवर्ती, केंद्रीय समिति के सदस्य और भारत के विभिन्न राज्यों के रेलवे माल गोदामों के श्रमिक प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस अवसर पर बोलते हुए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. परिमल कांति मंडल ने कहा कि ब्रिटिश शासन के बाद से इन रेल माल गोदाम श्रमिकों के शोषण के खिलाफ बीआरएमजीएसयू के लंबे संघर्ष के परिणामस्वरूप, इन श्रमिकों को विभिन्न सरकारी सुविधाएं प्राप्त हुई हैं। अब देश भर में लगभग दस लाख रेल माल गोदाम श्रमिकों को सरकारी मर्यादा से लेकर न्यूनतम मजदूरी, बीमा, पेंशन, माल गोदामों में पीने का पानी, शौचालय तक का लाभ मिला है। हम स्वस्थ और सुरक्षित कामकाजी माहौल बनाए रखने के लिए रेल माल गोदाम श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के लिए भारत सरकार के स्किल इंडिया के साथ मिलकर काम करने का जिम्मेदारी मिली है। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक भारतीय रेलवे इन श्रमिकों को रेलकर्मी के रूप में मान्यता नहीं दे देती। इस कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर एक नई प्रबंधन समिति का गठन किया गया और प्रशांत भद्र को राष्ट्रीय अध्यक्ष और अरूप कैवर्त को महासचिव चुना गया और नयी प्रबंधन कमिटी की जिम्मेदारी सौंपी गई। मौके पर सरकारी प्रतिनिधियों ने बीआरएमजीएसयू के आंदोलन का स्वागत एवं समर्थन करते हुए कर्मियों के लिए न्यूनतम वेतन की आवश्यकता को लेकर अपना अपना बातें पेश की।


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