नई दिल्ली: जहां एक ओर कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के लिए मेडल बरस रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर भारत ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है। विश्वपटल पर भारत को गौरवान्वित देख देशवासियों का सीना गर्व से फूला है। हो भी क्यों न, भारत के एथलीट एक के बाद एक कमाल जो कर रहे हैं।
देश की आजादी से पहले और बाद में एथलीट्स ने ओलंपिक्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में तिरंगा लहराया है। देश ऐसे एथलीट्स को सलाम करता है, जिन्होंने इतिहास रचा है। आइए एक नजर डालते हैं ऐसे एथलीट्स पर जिन्होंने देश के लिए मेडल जीतकर पोडियम पर भारत को गौरवान्वित किया है।
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1. नॉर्मन प्रिचर्ड
1900 के दशक में नॉर्मन प्रिचर्ड ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने 200 मीटर स्प्रिंट और 200 मीटर बाधा दौड़ में दो रजत पदक जीते। हालांकि इतिहासकार अभी भी मानते हैं कि प्रिचर्ड ने अंग्रेजों का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन आईओसी ने प्रिचर्ड को भारत का पहला ओलंपिक पदक विजेता बताया था।
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2. खशाबा दादासाहेब जाधव
भारतीय पहलवान को केडी जाधव के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में कांस्य जीता और इसके साथ ही वह ओलंपिक में जीतने वाले स्वतंत्र भारत के पहले एथलीट बन गए।
नॉर्मन प्रिचर्ड ने भारत की आजादी से पहले मेडल जीता था। उनसे पहले भारत ने फील्ड हॉकी में जीत हासिल की थी। दादासाहेब जाधव नाम भारत छोड़ो आंदोलन का भी हिस्सा थे और पहलवानों के परिवार से आते थे।
3. ध्यान चंद
भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी ध्यान चंद को खेल के इतिहास में सबसे महान खिलाड़ी के रूप में जाना जाता था। वह द्वितीय विश्व युद्ध से पहले के वर्षों में भारतीय हॉकी टीम के स्टार थे। उन्होंने 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक में भारत को लगातार तीन स्वर्ण पदक दिलाए। खेल पर अपनी महारत के कारण उन्होंने ‘हॉकी विजार्ड’ और ‘द मैजिशियन’ की उपाधियां अर्जित कीं।
4. राशिद अनवर
राष्ट्रमंडल खेलों में आज से 76 साल पहले पहलवान राशिद अनवर ने पहला पदक जीता था। भारत ने 1934 में पहली बार इनमें भाग लिया था। भारत ने इन खेलों के लिए कुल छह खिलाड़ियों को भेजा था जिन्होंने एथलेटिक्स और कुश्ती की कुल 11 स्पर्धाओं में भाग लिया। 12 अप्रैल 1910 को जन्में राशिद अनवर तब 74 किग्रा (वेल्टरवेट) के फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक जीतने में सफल रहे थे।
5. मिल्खा सिंह
फ्लाइंग सिख के रूप में पहचाने जाने वाले मिल्खा सिंह ने 1958 में स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रमंडल खेल पदक जीता था। उन्होंने गोल्ड पर कब्जा जमाया। वे 1960 ओलंपिक्स के लिए रोम गए, लेकिन महज 0.1 सेकंड से कांस्य पदक से चूक गए। इसके बाद मिल्खा सिंह ने एशियाई 400 मीटर का खिताब और दो साल बाद 4×400 रिले स्वर्ण जीता। अगले कई वर्षों तक वे भारत का झंडा लहराते रहे।
6. पी. टी. उषा
भारतीय एथलेटिक्स का पर्याय पी. टी. उषा हैं। ट्रैक एथलीट ने 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भले ही एक सेकंड के सौवें हिस्से से पदक से चूक गईं, लेकिन इसके बाद उन्होंने भारत के लिए कई पदक जीते। उन्होंने 1985 में जकार्ता एशियन चैंपियनशिप में छह मेडल जीते। 20 साल की उषा ने 400 मीटर दौड़ के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा था। अब वे राज्यसभा के लिए चुनी गई हैं।
7. अन्नू रानी
नीरज चोपड़ा से पहले भारत की अन्नू रानी इतिहास रच चुकी हैं। अन्नू ने अक्टूबर 2019 में दोहा में इतिहास रचा, वह विश्व चैंपियनशिप में भाला फेंक फाइनल में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं, लेकिन वह आठवें स्थान पर रहीं।
8. अंजू बॉबी जॉर्ज
अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2003 में पेरिस में हुए विश्व चैंपियनशिप में इतिहास रचा था। उन्होंने लंबी कूद में कांस्य पदक जीता था। ऐसा करते हुए वह विश्व पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बन गईं। इसके बाद उन्होंने 2005 में विश्व एथलेटिक्स फाइनल में रजत पदक जीता और फिर इसे स्वर्ण में अपग्रेड किया गया। दरअसल, तात्याना कोटोवा ड्रग परीक्षण में विफल रही थी, इस कारण अंजू ने गोल्ड पर कब्जा जमा लिया। दो बार की इस ओलंपियन के नाम भारत की तरफ से लॉन्ग जंप का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है। अंजू जॉर्ज बॉबी की उपलब्धियां इसलिए और खास हो जाती हैं क्योंकि उन्होंने यह सब एक किडनी से हासिल किया है।
9. दीपा मलिक
दीपा मलिक 2016 में रियो में शॉटपुट में रजत पदक जीतने पर पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्हें अर्जुन और पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
10. कर्णम मल्लेश्वरी
आंध्र प्रदेश की भारतीय भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला थीं। सिडनी 2000 ओलंपिक में उन्होंने ‘स्नैच’ और ‘क्लीन जर्क’ श्रेणियों में 110 किग्रा और 130 किग्रा भार उठाकर कांस्य पदक जीता। उनकी जीत के बाद उन्हें ‘द आयरन लेडी’ भी नामित किया गया था। उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और नागरिक पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
11. पीवी सिंधु
हैदराबाद की बैडमिंटन खिलाड़ी पुसरला वेंकट सिंधु ने कई मौकों पर देश को गौरवान्वित किया है। वह बैडमिंटन विश्व चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय और ओलंपिक खेलों में लगातार दो पदक जीतने वाली भारत की दूसरी एथलीट हैं।
सिंधु ने अप्रैल 2021 में विश्व रैंकिंग में दूसरे नंबर पर कब्जा किया। उन्होंने रियो 2016 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया और फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं। टोक्यो 2020 ओलंपिक्स में उन्होंने कांस्य पदक जीता। वह दो ओलंपिक पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं।
12. मीराबाई चानू
मणिपुर की रहने वाली भारतीय भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक्स 2020 में रजत पदक जीता। इससे पहले उसने राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। खेलों में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इस साल वह न केवल ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली एकमात्र भारतीय महिला भारोत्तोलक थीं, बल्कि ओलंपिक में रजत जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक और ओलंपिक पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय भारोत्तोलक भी थीं।
13. एमसी मैरी कॉम
उपनाम मैग्निफिसेंट मैरी एकमात्र भारतीय महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। उन्होंने फ्लाईवेट (51 किग्रा) वर्ग में प्रतिस्पर्धा की और कांस्य पदक जीता। लंदन 2012 ओलंपिक कार्यक्रम में महिला मुक्केबाजी की शुरुआत की गई और भारतीय दिग्गज मुक्केबाज़ एमसी मैरी कॉम (MC Mary Kom) ने उस वर्ष भारत का दूसरा ओलंपिक मुक्केबाजी पदक जीता। जहां इस दौरान मैरी कॉम ने फ्लाईवेट (51 किग्रा) वर्ग में कांस्य पदक जीता था।
14. अभिनव बिंद्रा
देहरादून के रहने वाले रिटायर्ड स्पोर्ट्स शूटर और बिजनेसमैन अभिनव बिंद्रा भारत के पहले (इंडिविजुअल) ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट हैं। बीजिंग में 2008 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
15. नीरज चोपड़ा
जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने पिछले साल टोक्यो ओलंपिक्स 2020 में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। वे एथलेटिक्स में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी भी हैं।
16. विनेश फोगाट
पहलवान विनेश फोगाट राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों दोनों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। इसके साथ ही वे लगातार 3 स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी बन गईं। विनेश ने गोल्ड की हैट्रिक लगाई है।