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इन बल्लेबाजों के साथ कैसे टीम इंडिया भेद पाएगी ऑस्ट्रेलिया का किला? घर में यह हाल तो विदेश में क्या होगा!

न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में भारतीय बैटिंग ऑर्डर मजाक बनकर रह गया। 92 साल में पहली बार भारत की पूरी टीम 50 रन के अंदर ही ऑलआउट होकर पवेलियन लौट गई।

Rohit Sharma and Kohli
शुभम मिश्रा। Team India IND vs NZ: न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट में इंडियन बैटर्स का प्रदर्शन देखने के बाद हर भारतीय फैन का सिर शर्म से झुक गया है। अपने घर में लगातार 18 सीरीज जीतने का रिकॉर्ड बनाने वाले टीम इंडिया के बल्लेबाजों का ऐसा हाल होगा किसी ने भी नहीं सोचा होगा। दिग्गज बल्लेबाजों से सजा बैटिंग ऑर्डर इस कदर बिखरा कि पलक झपकते ही पूरी टीम 46 रन पर ऑलआउट हो गई। विराट कोहली, केएल राहुल समेत पांच बल्लेबाज तो अपना खाता तक नहीं खोल सके। 92 साल में यह पहला मौका है, जब अपनी ही सरजमीं पर खेलते हुए भारतीय बैटिंग ऑर्डर 50 रन के अंदर ढेर हो गया। बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम के खिलाफ धुआंधार तरीके से रन बनाकर जिस बल्लेबाजी क्रम पर कप्तान रोहित और हेड कोच गौतम गंभीर गुमान कर रहे थे, उसकी पोल मजबूत बॉलिंग अटैक के खिलाफ खुल गई। अब अगर भारतीय बल्लेबाजों का यह हाल घर में है, तो विदेशी सरजमीं पर क्या होगा? इन बल्लेबाजों के दम पर ऑस्ट्रेलिया का किला टीम इंडिया कैसे भेद पाएगी? यह सवाल अब हर भारतीय क्रिकेट फैन के मन में उठने लगा है।

कैसे हो गई एक साथ इतनी गलती?

बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी मैदान की पिच को बल्लेबाजों के मुफीद माना जाता है। कप्तान रोहित ने पहली गलती तो टॉस जीतने के बाद बल्लेबाजी चुनकर ही कर दी थी। दो दिन से हो रही लगातार बारिश की वजह से पिच में नमी रहती है, जिसका फायदा तेज गेंदबाजों को मिलता है। पता नहीं कैसे यह बात कप्तान साहब के दिमाग में नहीं आई। बैटिंग करने का फैसला किया तो किया ही, लेकिन मैदान पर आते ही बड़े शॉट लगाने की चाहत समझ से परे थी। कप्तान रोहित खुद चाहते तो कुछ ओवर क्रीज पर खड़े रहकर नई गेंद से मिल रही फास्ट बॉलर्स को मदद को खत्म कर सकते थे। रोहित ने ऐसा करना जरूर नहीं समझा और बड़ा शॉट लगाने के चक्कर में क्लीन बोल्ड हो गए। [poll id="15"] विराट कोहली एक बार नए-नवेले गेंदबाज का शिकार बने। न्यूजीलैंड के युवा गेंदबाज ने जो प्लान उनके लिए तैयार किया, उस पर किंग कोहली खुद एकदम खरे उतरे और खाता तक नहीं खोल सके। आंकड़ों को देखने के बावजूद कोहली को नंबर तीन पर क्यों उतारा गया यह अपने आप में बड़ा सवाल है। शुभमन गिल की जगह प्लेइंग 11 में आए सरफराज खान ने भी आसानी से घुटने टेक दिए। केएल राहुल तो अपना विकेट फेंककर पवेलियन जाने की जल्दी में नजर आए।

टेस्ट को टेस्ट की तरह खेलना जरूरी

टीम इंडिया ने टेस्ट मे अटैकिंग क्रिकेट खेलने की अप्रोच अपनाई है। वनडे और टी-20 की तरह ही भारतीय बल्लेबाज ताबड़तोड़ तरीके से रन बनाना चाहते हैं। मगर सच्चाई यह है कि टेस्ट क्रिकेट में बैटिंग अप्रोच विपक्षी टीम के गेंदबाजी अटैक और कंडिशंस को देखते हुए अपनाई जाती है। वनडे और टी-20 की तरह टेस्ट का रोमांच एक ही दिन में नहीं सिमट जाता है, बल्कि आपको बतौर टीम पांच दिन अग्निपरीक्षा देनी होती है। इसी वजह से कहा जाता है कि टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए आपके पास धैर्य का होना बड़ा जरूरी है और टेस्ट को टेस्ट की तरह ही खेला जाए, तो ज्यादा बेहतर नतीजे भी निकलकर आते हैं।

कैसे फतह होगा ऑस्ट्रेलिया का किला?

अब भारतीय बल्लेबाजों का अपनी ही घरेलू सरजमीं पर यह हाल है। विपक्षी टीम के गेंदबाजों को विकेट से मिली थोड़ी से मदद के आगे इंडियन बैटर्स ने आसानी से घुटने टेक दिए। अब जरा सोचिए कि पर्थ या फिर ऑस्ट्रेलिया के बाकी मैदानों पर भारतीय बल्लेबाजों का फिर क्या हश्र होगा। पर्थ में उछाल जानलेवा होता है, तो एडिलेड में पहले ही टीम इंडिया 36 रन पर सिमट चुकी है। चिन्नास्वामी में इंडियन बैटिंग लाइनअप का हुआ यह हाल आंखें खोलने वाला भी है, क्योंकि अगर इस फ्लॉप शो को सीरियस नहीं लिया गया, तो कंगारू धरती पर जीत की हैट्रिक लगाने का सपना चकनाचूर भी हो सकता है।


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