Will England Sack Brendon McCullum: ऑस्ट्रेलिया की टीम ने मौजूदा एशेज में शानदार प्रदर्शन किया है. सिर्फ 11 दिनों में ट्रॉफी जीतने से इंग्लैंड को एक बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. बोल्ड बैजबॉल फिलॉसफी, जिसे कभी 'टेस्ट क्रिकेट को बचाने वाली क्रांति' कहा गया था, अब नाकाम साबित हो रही है. बेन स्टोक्स की टीम अपने अटैकिंग अप्रोच पर कायम रही, लेकिन अहम पलों में बार-बार फेल हुई, ये ट्रेंड पिछले 18 महीनों से दिख रहा है.
मैक्कुलम को हटाने की मांग
इसका नतीजा बहुत बुरा हुआ है, इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी और एक्सपर्ट्स खुलकर अपनी निराशा जाहिर कर रहे हैं. लाजमी है कि हेड कोच ब्रेंडन मैक्कुलम पर दबाव बढ़ गया है, और उन्हें हटाने की मांग भी बढ़ रही है. हालांकि, बड़ा सवाल ये है कि क्या इंग्लैंड सच में उन्हें हटाने का जोखिम उठा सकता है. असल में कोई दूसरा ऑप्शन ज्यादा नहीं है. जेसन गिलेस्पी, एलेक स्टीवर्ट और जोनाथन ट्रॉट जैसे नामों का जिक्र हुआ है, लेकिन कोई भी बेहतर विकल्प या लंबे समय का पक्का समाधान नहीं है.
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मैक्कुलम से पहले क्या था?
ये भी याद रखना ज़रूरी है कि मैक्कुलम के कोच बनने से पहले इंग्लैंड की क्या हालत थी. दिग्गज गेंदबाज़ जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड होने के बावजूद, टीम में कॉन्फिडेंस, क्लैरिटी और दिशा की कमी थी. बैजबॉल ने शुरू में विश्वास और पहचान वापस दिलाई, भले ही अब इसकी कमियां बुरी तरह सामने आ गई हों.
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'बैजबॉल 2.0' की जरूरत
बैजबॉल पूरी तरह से फेल नहीं हुआ है; बल्कि, ये भ्रम है कि बेसिक चीजों को नजरअंदाज किया जा सकता है, वो खत्म हो गया है. अगर मैक्कुलम को बिना किसी साफ रिप्लेसमेंट फिलॉसफी के हटाया जाता है, तो इंग्लैंड एक और आइडेंटिटी क्राइसिस का रिस्क उठाएगा. हालांकि, उन्हें बनाए रखने के लिए बदलाव की जरूरत है, एक ज्यादा अपनाने लायक बेहतर 'बैजबॉल 2.0' लाया जा सकता है. टेस्ट क्रिकेट धैर्य, तैयारी और स्किल को इनाम देता है, स्लोगन को नहीं. जब तक इंग्लैंड इस सच्चाई को नहीं अपनाता, कोई भी कोच उनकी परेशानी को सच में ठीक नहीं कर सकता.