Gautam Gambhir: भारतीय टीम के हेड कोच गौतम गंभीर के लिए एशिया कप 2025 से पहले बुरी खबर आई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दवाओं का अवैध तरीके के जमा करने और वितरण करने के मामले में गंभीर और उनकी फाउंडेशन की मुश्किलें बढ़ा दी है। हाई कोर्ट जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने भारतीय हेड कोच को राहत देने से साफ इंकार कर दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 29 अगस्त को होने वाली है। अगली सुनवाई से पहले इस केस के टाइमलाइन को जानना बेहद अहम है।
जानिए क्या है पूरा मामला
दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग ने गौतम गंभीर और उनके परिवार सहित फाउंडेशन पर भी कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान बिना लाइसेंस के कोविड से जुड़ी दवाओं को जमा करने और वितरण करने के आरोप में केस दर्ज कराया था। जिसके बाद से ये केस अभी तक दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहा है।
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22 अप्रैल से 7 मई 2021
गौतम गंभीर फाउंडेशन ने पूर्वी दिल्ली के जागृति एन्क्लेव में कोविड 19 के रोगियों के लिए फ्री में चिकित्सा शिविर लगाया था। इस शिविर के दौरान फाउंडेशन कथित तौर पर बिना लाइसेंस के फैबिफ्लू और मेडिकल ऑक्सीजन जैसी कोविड-19 दवाएं वितरित करता है। भाजपा ने शिविरों के उद्देश्य की पुष्टि करते हुए एक बयान जारी किया था। बाद में दिल्ली पुलिस जांच करके क्लीन चिट दे देती है, लेकिन दिल्ली सरकार का औषधि नियंत्रण विभाग आरोपों पर आगे बढ़ने का फैसला करता है।
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1 मई 2021
इस दिन दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल खड़ा किया कि भाजपा सांसद होने के नाते गौतम गंभीर कैसे बिना लाइसेंस के फैबिफ्लू जैसी बड़ी मात्रा में प्रिस्क्रिप्शन वाली कोविड-19 दवाओं की खरीद और वितरण कैसे कर रहे हैं। कोर्ट ने संभावित गैर जिम्मेदारी पर टिप्पणी की और मरीजों के लिए दवा कम पड़ने का जिक्र भी किया। इसके अलावा कोर्ट ने औषधि नियंत्रक को गंभीर सहित सभी राजनेताओं पर भारी मात्रा में खरीद की जांच करने का निर्देश दिया।
24 मई 2021
हाई कोर्ट ने दिल्ली औषधि नियंत्रक को गर्ग अस्पताल के एक डॉक्टर के माध्यम से गंभीर द्वारा फैबिफ्लू की 2,343 स्ट्रिप्स और फाउंडेशन के माध्यम से 2,628 स्ट्रिप्स की खरीद की जांच पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि गंभीर के इरादे भले ही नेक रहे हों, लेकिन दवाओं की कमी के बीच उनके कार्यों से अनजाने में नुकसान हो सकता है। जिसके बाद सुनवाई 31 मई, 2021 तक स्थगित हो गई थी।
3 जून 2021
दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग ने रोहिणी, दिल्ली की एक मजिस्ट्रेट अदालत में सीआरपीसी की धारा 200 के तहत गंभीर, गौतम गंभीर फाउंडेशन, सीईओ अपराजिता सिंह, उनकी मां सीमा गंभीर और पत्नी नताशा गंभीर (दोनों ट्रस्टी) के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई। आरोप औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 18(सी) (दवाओं के बिना लाइसेंस निर्माण/बिक्री/वितरण पर रोक) और धारा 27(बी)(ii) (3-5 साल की कैद और जुर्माने से दंडनीय) के तहत लगाए गए हैं। इसी मामले में निचली अदालत ने समन आदेश जारी किया है।
सितंबर 20 2021
उच्च न्यायालय ने गौतम गंभीर फाउंडेशन, गंभीर और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा आपराधिक शिकायत और समन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। अदालत ने दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग से इस मामले में जवाब मांगा।
9 अप्रैल 2025
मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत में लगी रोक को हटा दिया, क्योंकि गौतम गंभीर के वकील सुनवाई की तारीख पर नहीं पहुंचे। मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त 2025 को निर्धारित हुआ है।
25 अगस्त 2025
इस केस पर दोबारा रोक लगाने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इंकार कर दिया। इसके अलावा जज नीना बंसल कृष्णा ने गंभीर के पद का बार-बार जिक्र पर सवाल खड़ा किया। अदालत ने एफआईआर रद्द करने और 9 अप्रैल के आदेश को वापस लेने की गंभीर की याचिका पर 29 अगस्त, 2025 को सुनवाई की तारीख तय की। वकील ने गंभीर की पत्नी और माँ को तलब करने से बचने के लिए 8 सितंबर, 2025 (अगली निचली अदालत की तारीख) से पहले तत्काल सुनवाई का आग्रह किया।
29 अप्रैल 2025
कोर्ट में इस दिन अगली सुनवाई होनी है।
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