Monty Panesar On Shubman Gill: इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर का मानना है कि शुभमन गिल क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में भारत की कप्तानी नहीं कर सकते. एएनआई से बात करते हुए पनेसर ने कहा कि गिल विराट कोहली की आक्रामकता की बराबरी नहीं कर सकते. इसके अलावा उन्होंने अपने बयानों के जरिए समझाने की कोशिश की कि विराट कोहली और गिल की तुलना नहीं है.
विराट और गिल के बीच का अंतर
मोंटी पनेसर ने गिल के बारे में कहा, 'वो एक संतुष्ट क्रिकेटर हैं. उनमें बहुत टैलेंट है, लेकिन वो खेल में लेजी शॉट खेलने लगते हैं. विराट कोहली की इंटेंसिटी और अग्रेशन सभी फॉर्मेट में साफ दिखता है. शुभमन गिल ऐसा नहीं कर सकते. ये उनके लिए बहुत ज्यादा है. वो सभी फॉर्मेट के कप्तान नहीं बन सकते. ये उनके लिए टू मच है. व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में, आपको विराट कोहली की कमी ज्यादा महसूस नहीं होगी. लेकिन हां, टेस्ट क्रिकेट में, ये साफ है कि विराट कोहली नहीं हैं, और टीम की इंटेंसिटी कम है.'
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जब गिल को मिली टेस्ट कैप्टेंसी
रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट से रिटायर होने के बाद गिल को टेस्ट कप्तानी सौंपी गई थी. शुरुआत में, कई एक्सपर्ट्स ने सेलेक्टर्स के फैसले पर शक किया था. हालांकि, गिल ने इंग्लैंड में एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में आगे बढ़कर टीम की अगुवाई करके एक मजबूत जवाब दिया, और सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने. उनकी कप्तानी में, भारत ने अच्छी वापसी करते हुए सीरीज़ 2-2 से बराबर की.
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टी-20 वर्ल्ड कप में नहीं खेलेंगे गिल
फिर रोहित शर्मा के बाद शुभमन गिल को वनडे कप्तानी भी दी गई और वो वाइस-कैप्टन के तौर पर टी-20 इंटरनेशनल सेटअप में वापस आए. हालांकि, सबसे छोटे फॉर्मेट में उनकी वापसी बैटिंग परफॉर्मेंस के मामले में अच्छी नहीं रही और, बदकिस्मती से, वो 2026 के टी20 वर्ल्ड कप के लिए 15 सदस्यीय भारतीय टीम में जगह बनाने में नाकाम रहे.
टेस्ट में कब होगा टीम इंडिया का कमबेक?
पनेसर का मानना है कि भारत को टेस्ट क्रिकेट में वापसी करने में वक्त लगेगा, खासकर एक साल के अंदर घर पर 2 बार व्हाइटवॉश होने के बाद, और उन्होंने अपने इस बात के पीछे के कारण बताए. उन्होंने आगे कहा, "भारतीय खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार नहीं हैं. भारत में जो खिलाड़ी टी20 और वनडे में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, वो टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते. रणजी ट्रॉफी और भारत की टेस्ट टीम के बीच बहुत बड़ा अंतर है. रणजी ट्रॉफी का सिस्टम भी बहुत कमजोर है. लड़के सिर्फ आईपीएल में खेलना चाहते हैं. वो बड़ा कॉन्ट्रैक्ट पाना चाहते हैं. वो टी-20 इंटरनेशनल और वनडे में खेलना चाहते हैं. 4-दिन के क्रिकेट में बहुत ज्यादा मेहनत लगती है. इसीलिए वो कम वक्त देना चाहते हैं. वो टी-20 क्रिकेट में ज़्यादा पैसे कमाते हैं. वो टेस्ट क्रिकेट में कम पैसे कमाते हैं. लेकिन सच्चाई ये है कि रणजी ट्रॉफी का घरेलू क्रिकेट बहुत कमज़ोर है. भारत को टेस्ट क्रिकेट में वापसी करने में कुछ टाइम लगेगा."