IND vs SA: कोलकाता टेस्ट मैच के दौरान टीम इंडिया के कप्तान शुभमन गिल को गर्दन में दर्द हुआ. जिसके कारण उन्हें अस्पताल लेकर जाना पड़ा. डॉक्टरों ने गिल को कुछ समय आईसीयू में भी रखा था. जिसके कारण ही फैंस की कप्तान गिल को लेकर चिंता भी बढ़ गई. टीम इंडिया 22 नवंबर से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरा टेस्ट मैच खेलने वाली है. जिसमें शुभमन का खेलना अब बहुत ज्यादा मुश्किल नजर आ रहा है.
गिल की इंजरी को लेकर न्यूज 24 ने मशहूर फिजियोथेरेपिस्ट और स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉ. जतिन चौधरी से बात की है. डॉ चौधरी ने आईपीएल में पंजाब किंग्स और मुंबई इंडियंस जैसी बड़ी टीमों के लिए काम किया है. वहीं कुछ समय के लिए वो टीम इंडिया से भी जुड़े थे. इस बातचीत में गिल की इंजरी की गंभीरता को लेकर डॉ चौधरी ने बताया है.
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सवाल- शुभमन गिल की गर्दन में चोट लगे चार दिन हो गए हैं. यह किस तरह की चोट हो सकती है?
डॉ. जतिन चौधरी: ‘अभी तक, मैंने कोई CT स्कैन रिपोर्ट नहीं देखी है, लेकिन मैंने जो पढ़ा है और जो जानकारी मिली है, उसके आधार पर, यह गर्दन में ऐंठन जैसा लग रहा है. स्वीप शॉट लगाने की कोशिश करते समय, उनकी गर्दन अकड़ गई. अगर यह सिर्फ ऐंठन है, तो आमतौर पर कोई गंभीर खतरा नहीं होता है. लेकिन MRI रिपोर्ट से सही स्थिति का पता चल जाएगा. डॉक्टरों ने उन्हें ICU में निगरानी में रखा है. अगर उनके हाथों में सुन्नपन या न्यूरल कम्प्रेशन है, तो चोट गंभीर हो सकती है.’
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सवाल- चूंकि एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं, तो क्या यह एक गंभीर चिंता का विषय है?
डॉ. चौधरी: ‘शुभमन गिल जैसे बड़े क्रिकेटर के लिए, छोटी सी चोट का भी ज्यादा ध्यान से इलाज किया जाता है. स्पाइनल कॉर्ड गर्दन से होकर गुजरती है और दोनों हाथों और पैरों को कंट्रोल करती है अगर न्यूरल कम्प्रेशन, स्लिप डिस्क, या मामूली फ्रैक्चर भी है, तो इससे भविष्य में समस्याएं हो सकती हैं. इसीलिए डॉक्टरों ने उन्हें गर्दन पर कॉलर लगाया है, यह पूरी तरह से एहतियाती कदम है.’
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सवाल- इन उपायों के साथ, एक आम इंसान के लिए चोट कितनी गंभीर हो सकती है? और 22 नवंबर को होने वाले टेस्ट के लिए इसका क्या मतलब है?
डॉ. जतिन चौधरी: ‘अगर यह सिर्फ गर्दन में ऐंठन या हल्का दर्द है और हाथों में कोई कमजोरी या तकलीफ नहीं है, तो खिलाड़ी आमतौर पर खेल सकता है. लेकिन अगर न्यूरल कम्प्रेशन है, तो हाथ में दर्द, कमजोरी, सुन्नपन, चक्कर आना या वर्टिगो जैसे लक्षण दिख सकते हैं. ऐसे मामलों में, मरीज या खिलाड़ी को 7-10 दिन आराम करने की सलाह दी जाती है और पूरी तरह से फिट होने तक वापस आने की इजाजत नहीं होती है.’
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