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मिसाइलों को उड़ाने के लिए किस तरह का ईंधन होता है इस्तेमाल? जानिए इसके पीछे का विज्ञान

क्या आपने मिसाइलों को देखकर कभी सोचा है कि ये इतनी तेजी से कैसे उड़ती हैं? असल में, इनकी ताकत का राज छिपा है एक खास तरह के ईंधन में। आइए जानते हैं कि आखिर मिसाइलों में कौन सा ईंधन इस्तेमाल होता है और यह इतना खास क्यों है?

missile
मिसाइलें एक तरह के गाइडेड मानव रहित रॉकेट होती हैं, जो हथियार ले जाने में सक्षम होती हैं। इन्हें विशेष लक्ष्य और दूरी के हिसाब से डिजाइन किया जाता है। मिसाइलों में रॉकेट जैसे ही इंजन होते हैं, जो इन्हें ऊंचाई तक उड़ाने में मदद करते हैं। जब मिसाइल का ईंधन जलना शुरू होता है, तो इसके भीतर गैसों का निर्माण होता है, जो नोजल के जरिए बाहर निकलती हैं। इससे मिसाइल को आगे बढ़ने और ऊंचाई तक उड़ने के लिए आवश्यक बल प्राप्त होता है। यह प्रक्रिया मिसाइल के अंदर दबाव उत्पन्न करती है, जिसकी वजह से ये तेजी से ऊपर की तरफ जाती है।

मिसाइलों में कौन सा ईंधन इस्तेमाल होता है?

मिसाइलों में मुख्य रूप से दो प्रकार के ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है – ठोस ईंधन (सॉलिड फ्यूल) यानी एल्युमिनियम पाउडर और तरल ईंधन (लिक्विड फ्यूल) यानी हाइड्रोकार्बन का इस्तेमाल होता है। ठोस ईंधन जल्दी जलता है और इसे लंबे समय तक स्टोर्ड किया जा सकता है, जबकि तरल ईंधन जटिल होता है, लेकिन इसकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता अधिक होती है।

मिसाइलें कितने प्रकार की होती हैं?

मिसाइलें कई प्रकार की होती हैं, जिनमें मुख्य रूप से बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल शामिल हैं। बैलिस्टिक मिसाइल: यह मिसाइल लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम होती है और ऊपर ऊंचाई तक जाकर ग्रेविटी के सहारे लक्ष्य पर गिरती है। क्रूज मिसाइल: यह कम ऊंचाई पर उड़ती है और जमीन या समुद्र पर सतह के करीब रहते हुए लक्ष्य तक पहुंचती है।

किस देश के पास सबसे ज्यादा मिसाइलें हैं?

दुनिया में सबसे ज्यादा मिसाइलों का भंडार रखने वाले देशों में अमेरिका, रूस, चीन और भारत हैं। इन देशों के पास कई प्रकार की मिसाइलें हैं, जिनमें से कुछ अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) जैसी आधुनिक तकनीक पर आधारित हैं।


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