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सूर्य पर निर्भरता होगी खत्म, अब चांद पर कभी नहीं होगी रात; वैज्ञानिकों ने खोज लिया उपाय

human home on the moon: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के मिशन चंद्रयान-3 की सफलता ने चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं को बढ़ाया है और देश ही विदेश के वैज्ञानिक भी इससे उत्साहित हैं। मिशन पर निकले चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने ऑक्सीजन के कई खनिज पदार्थ पदार्थों की खोज की है। […]

moon Energy
human home on the moon: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के मिशन चंद्रयान-3 की सफलता ने चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं को बढ़ाया है और देश ही विदेश के वैज्ञानिक भी इससे उत्साहित हैं। मिशन पर निकले चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने ऑक्सीजन के कई खनिज पदार्थ पदार्थों की खोज की है। इससे चांद पर बस्तियां बसाने का इंसान का सपना पूरा हो सकता है।

नया ईंधन कर सकता है क्रांतिकारी बदलाव

यूके अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा वित्त पोषित आठ परियोजनाओं में से एक का नेतृत्व कर रहे बैंगोर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ईंधन डिज़ाइन किया है जो चंद्रमा पर जीवन की परिकल्पना को साकार कर सकेगा। अंतरिक्ष में गहराई तक यात्रा करने और यहां तक कि मंगल ग्रह की यात्रा करने की कोशिश में इसे क्रांतिकारी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।

परमाणु ईंधन प्रणालियां बेहद महत्वपूर्ण

वैज्ञानिकों के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष यान को बनाए रखने के लिए अंतरिक्ष में पाई जाने वाली दूरस्थ प्रौद्योगिकियों और आपूर्ति का उपयोग करके अनुसंधान अंतरिक्ष यात्रा को सुरक्षित और अधिक कुशल बना देगा।  इस बाबत डॉ. फिलिस मकुरुंजे के नेतृत्व में बांगोर विश्वविद्यालय अनुसंधान ने अंतरिक्ष संचालन शक्ति के लिए परमाणु-आधारित ईंधन बनाने के लिए एडिटिव विनिर्माण तकनीकों का उपयोग करेगा। यहां पर बता दें कि अंतरिक्ष अभियानों को सक्षम करने के लिए ऐसी स्थिर परमाणु ईंधन प्रणालियां बेहद महत्वपूर्ण हैं। बैंगोर के न्यूक्लियर फ्यूचर्स इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की जा रही नई प्रक्रियाएं विभिन्न ईंधन विन्यास और डिजाइनों के विकास और निर्माण को सक्षम बनाएंगी जिन्हें पारंपरिक विनिर्माण विधियों द्वारा आसानी से महसूस नहीं किया जा सकता है।

होगा परमाणु ईंधन में विशेषज्ञता का उपयोग

इस नई कोशिश के बाबत न्यूक्लियर मैटेरियल्स में प्रोफेसर और बैंगर यूनिवर्सिटी में न्यूक्लियर फ्यूचर्स इंस्टीट्यूट के सह-निदेशक प्रोफेसर साइमन मिडिलबर्ग का कहना है कि यह परियोजना परमाणु ईंधन में विशेषज्ञता का उपयोग करेगी जो हमारे पास न्यूक्लियर फ्यूचर्स इंस्टीट्यूट के भीतर है और इसे सबसे रोमांचक अनुप्रयोगों में से एक में लागू करेगी।

परमाणु ऊर्जा से मिलेगा बड़ा सहारा

यहां पर बता दें कि चंद्रमा के अलावा उन ग्रहों पर जहां दिन और रात होते हैं। ऐसे में इस ऊर्जा के लिए सूर्य पर निर्भर नहीं रह सकते हैं और इसलिए जीवन को बनाए रखने के लिए छोटे माइक्रो-रिएक्टर जैसी प्रणालियों को डिजाइन करना होगा। ऐसे में परमाणु ऊर्जा ही एकमात्र तरीका है, जिससे इंसान वर्तमान में अंतरिक्ष यात्रा की लंबाई के लिए शक्ति प्रदान कर सकते हैं। ईंधन बेहद मजबूत होना चाहिए और प्रक्षेपण की ताकतों को झेलना चाहिए और फिर कई वर्षों तक भरोसेमंद होना चाहिए।  


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