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Science News: ‘जूनो’ का कामयाब मिशन; बृहस्पति के लगाए 50 चक्कर, नासा ने जारी की तस्वीरें

डॉ आशीष कुमार। जूनो मिशन (Juno mission) को बृहस्पति ग्रह के अध्ययन के लिए भेजा गया था। यह एक प्रोब है। जूनो को बृहस्पति (Jupiter) के चारो ओर घूमते हुए, वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आंकड़े जुटाते हुए, तस्वीरें लेनी थी। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि यह 37 चक्कर लगाएगा, लेकिन इसने उम्मीद से अधिक […]

डॉ आशीष कुमार। जूनो मिशन (Juno mission) को बृहस्पति ग्रह के अध्ययन के लिए भेजा गया था। यह एक प्रोब है। जूनो को बृहस्पति (Jupiter) के चारो ओर घूमते हुए, वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आंकड़े जुटाते हुए, तस्वीरें लेनी थी। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि यह 37 चक्कर लगाएगा, लेकिन इसने उम्मीद से अधिक श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अब तक बृहस्पति के 50 चक्कर पूरे कर लिए हैं। इस दौरान जूनों ने बृहस्पति की हजारों तस्वीर ली हैं। जूनो की कामयाबी पर नासा ने ट्वीट कर प्रसन्नता जाहिर की है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने सौर मंडल के पांचवें व सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति का अध्ययन करने के लिए 5 अगस्त, 2011 को जूनो मिशन लॉन्च किया था। पांच वर्ष के लंबे सफर के बाद जूनो बृहस्पति की कक्षा में पहुंचने में सफल रहा। यह वर्ष 2016 से बृहस्पति की चारो ओर अनवरत चक्कर लगा रहा है। उम्मीद से ज्यादा कामयाब 'जूनो' हालांकि, नासा का अनुमान था कि यह वर्ष 2018 तक 37 चक्कर लगा लेगा। जूनो नासा के अनुमानों से अधिक कामयाब सिद्ध हुआ है। अब तक इसने बृहस्पति के 50 चक्कर पूरे कर लिए हैं। इस दौरान इसने बृहस्पति ग्रह की बनावट, मौसम और चुम्बकीय क्षेत्र का अध्ययन किया है। जूनो द्वारा बृहस्पति की हजारों शानदार तस्वीरें ली हैं, जो समय-समय पर नासा द्वारा जारी की जाती हैं। फीचर्ड सबमिशन नासा जूनो मिशन की ‘रॉ’ तस्वीरों को जूनो मिशन की वेबसाइट के माध्यम से आम नागरिकों के लिए जारी करता है, आम नागरिक उन रॉ तस्वीरों को जोड़कर एक वास्तविक तस्वीर बनाकर नासा को भेज देते हैं। नासा नागरिक भागीदारी से तैयार हुई तस्वीरों को क्रेडिट के साथ ‘फीचर्ड सबमिशन’ नाम से जारी कर देता है। यूनानी देवी का नाम ‘जूनो’ जूनो मिशन का नामकरण यूनानी देवी के नाम से किया गया है। ‘जूनो’ यूनानी पौराणिक देवता जूपिटर यानी बृहस्पति की पत्नी का नाम था। यूनानी पौराणिक कथानुसार बृहस्पति का चेहरा कोई नहीं देख पाता था, उसका चेहरा धुंध और बादलों से ढका रहता था। जूनो ने पहली बार धुंध को हटाकर बृहस्पति का चेहरा देखा था। जूनो यान भी यही काम कर रहा है, वह बृहस्पति की धुंध से पार जाकर उसका अध्ययन कर रहा है। बृहस्पति पर अमोनिया हाइड्रोसाल्फाइड के बादल छाए रहते हैं। बृहस्पति में धरातल मौजूद नहीं अध्ययनों से पता चला है कि बृहस्पति ऐसा ग्रह है, जिसका धरातल मौजूद नहीं है। वह गैसीय पदार्थों से बना हुआ है। वह गैसों से घिरा हुआ पिंड है। इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के हजारवें हिस्से के बराबर है। सौर मण्डल में बृहस्पति ग्रह के सबसे अधिक उपग्रह हैं। बृहस्पति के अब तक 95 उपग्रह खोजे जा चुके हैं। बृहस्पति के प्रमुख चार उपग्रह हैं, जिनके नाम यूरोपा, गैनीमिड, कैलीस्टो, आयो है। गैनीमिड सबसे बड़ा उपग्रह है, जिसका आकार बुध ग्रह से भी बड़ा है। यूरोपा पर वैज्ञानिक पानी और एलियन लाइफ मिलने की संभावना जता रहे हैं। बृहस्पति के अध्ययन के लिए अब तक भेजे प्रमुख अभियानों में पॉयोनियर-10, पॉयोनियर-11, वायजर-1, वायजर-2, युलीसेस, कैसिनी, न्यू हॉरिजोंस आदि शामिल हैं। (लेखक इंटरनेशलन स्कूल ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्टडीज (ISOMES) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)


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