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Science Tech: चांद पर स्थायी मानव बस्ती बसाने का ‘Artemis Mission’

लेख: डॉ. आशीष कुमार। मानव की अंतरिक्ष में झांकने की सदैव से जिज्ञासा रही है। तारों और ग्रहों के अध्ययन धर्म और जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। जानने की यात्रा में मानव अब दूसरे ग्रहों पर बसने की योजना पर काम कर रहा है। इसी क्रम में अमेरिका की स्पेस एजेंसी ‘नासा’ (NASA) ने […]

लेख: डॉ. आशीष कुमार। मानव की अंतरिक्ष में झांकने की सदैव से जिज्ञासा रही है। तारों और ग्रहों के अध्ययन धर्म और जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। जानने की यात्रा में मानव अब दूसरे ग्रहों पर बसने की योजना पर काम कर रहा है। इसी क्रम में अमेरिका की स्पेस एजेंसी ‘नासा’ (NASA) ने दूसरे ग्रहों और उपग्रहों पर मानव बस्ती बसाने के लिए ‘आर्टेमिस मिशन’ (Artemis mission) प्रारंभ किया है। आर्टेमिस मिशन के तहत सबसे पहले चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाई जाएंगी। इसके बाद मंगल (Mars) ग्रह पर मानव बस्ती बसाने की योजना है। साल 1968 से लेकर 1972 तक अमेरिका ने चांद पर मानवों को उतारने के लिए कुल 9 मिशन को अंजाम दिया था, जिसमें से 6 सफल रहे। ये अपोलो-8 से लेकर अपोलो-17 तक की नामकरण सीरीज के मिशन थे। इन मिशनों में नील आर्मस्ट्रॉग सहित 12 अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद की सतह पर कदम रखे। नासा के इन मिशनों के बाद कोई भी अंतरिक्ष यात्री चांद पर नहीं पहुंचा है। चंद्रमा पर बनेगा ‘गेटवे’ नाम का स्पेस स्टेशन आर्टेमिस मिशन का उद्देश्य एक बार फिर अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर चहलकदमी कराने के साथ स्थायी मानव बस्ती बसाने की संभावनाओं पर काम करना है। इसके लिए सबसे पहले चंद्रमा की कक्षा में ‘गेटवे’ (GATEWAY) नाम के स्पेस स्टेशन की स्थापना की जाएगी। यह स्पेस स्टेशन चांद की परिक्रमा करता रहेगा। गेटवे स्पेस स्टेशन से अंतरिक्ष यात्री नियमित रूप से चंद्रमा की सैर पर जा सकेंगे। अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा तक ‘ओरियन’ (ORION) अंतरिक्ष यान से भेजा जाएगा। आर्टेमिस मिशन में प्रयोग किए जाने वाले रॉकेट ‘स्पेस लॉन्च सिस्टम’ यानी ‘एसएलएस’ (SLS) और ‘लैंडिग सिस्टम’ पर प्रयोग जारी हैं। आर्टेमिस मिशन में होंगे कई सब मिशन आर्टेमिस मिशन पर नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी मिलकर कार्य कर रही हैं। इस अभियान में ब्राजील, दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात के के साथ अन्य देश भी जुड़े हुए हैं। आर्टेमिस कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा वर्ष 2017 में ट्रम्प प्रशासन के कार्यकाल में की गई थी। आर्टेमिस मिशन में कई सब मिशन होंगे, जिन पर वैज्ञानिक लंबे समय से अनुसंधान कर रहे हैं। बुश प्रशासन के समय ‘कॉनस्टिलेशन प्रोग्राम’ प्रारंभ किया गया था, हालांकि जिसे ओबामा प्रशासन के समय बंद कर दिया गया था, लेकिन उस प्रोग्राम की प्रायोगिक सफलताओं को आर्टेमिस मिशन में इस्तेमाल किया जा रहा है। आर्टिमस मिशन को कई चरणों में संपन्न किया जाएगा। 10 दिन होगी मिशन की अवधि आर्टेमिस मिशन-1 को 2022 में संपन्न किया गया था। इसके तहत ‘स्पेस लांच सिस्टम’ और ‘ओरियन’ अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था। अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आर्टेमिस मिशन-2 का प्रक्षेपण वर्ष 2024 को होगा। इसमें ओरियन अंतरिक्ष यान का ‘लूनर फ्लाई बाई टेस्ट’ (lunar fly bye test) होगा। जिसमें ओरियन अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष यात्रियों सहित चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और वापिस पृथ्वी पर लैंडिंग होगी। इस मिशन की अवधि 10 दिन होगी। आर्टेमिस मिशन-2 में 4 अंतरिक्ष यांत्रियों को भेजा जाएगा।
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आर्टेमिस मिशन-2 के लिए 3 अप्रैल 2023 को प्रायोगिक परीक्षण नासा द्वारा आर्टेमिस मिशन-2 के लिए 3 अप्रैल 2023 को प्रायोगिक परीक्षण किए जाएंगे। प्रायोगिक परीक्षणों को नासा के डिजिटल प्लेटफॉर्म, नासा टेलीविजन, नासा एप व वेबासाइट पर लाइव दिखाया जाएगा। इसकी जानकारी नासा ने अपनी वेबसाइट पर जारी की है। आर्टेमिस मिशन-3 में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर उतराने की योजना बनाई गई है। नासा की योजना के अनुसार आर्टेमिस मिशन-3 को वर्ष 2025 में संपन्न किया जाएगा। आर्टेमिस मिशन-4 में चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किए जाने वाले स्पेस स्टेशन ‘गेटवे’ में अंतरिक्ष यान की डॉकिंग के साथ चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को नियमित भेजना शुरू किया जाएगा। साथ ही, चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों व वैज्ञानिकों के लिए बस्तियां बसाई जाएंगी। यदि आर्टेमिस मिशन के सभी चरण सफल होते हैं तो मानव के लिए परग्रही अंतरिक्ष यात्राओं और वहां बसने के द्वार खुल जाएंगे। यह मानव के भविष्य को बदल कर रख देगा। साथ ही, इसके दूसरी ओर परग्रहों पर बसने वाले स्थानों के लिए भी देशों में आपसी विवाद और प्रतियोगिता प्रारंभ हो जाएगी। जैसा की आर्टेमिस मिशन की चंद्रमा पर लैंडिंग वाले स्थान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच विवाद प्रारंभ हो गया है। (लेखक इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मीडिया एंड इंटरटेनमेंट स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)


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