डायबिटीज के मरीजों के लिए चीनी से ज्यादा सेफ है NSS, जानिए क्या हैं इसके फायदे और नुकसान
Science News: एक शोध के अनुसार डायबिटीज के मरीज यदि एस्पार्टेम, स्टीविया जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर्स (NSS) को सीमित मात्रा में प्रयोग करें तो इससे उन्हें नुकसान नहीं होगा। हालांकि यदि इसकी थोड़ी भी अधिक मात्रा लेना नुकसानदायक हो सकता है। एसएसएस अक्सर डायबिटीज पेशेंट्स में ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग बॉडी वेट को मेंटेन करने के लिए भी किया जाता है। वर्तमान में एनएसएस में एसेसल्फेम के, एस्पार्टेम, एडवांटेम, साइक्लामेट्स, नियोटेम, सैकरिन, सुक्रालोज़, स्टीविया और इसके डेरिवेटिव को शामिल हैं।
चीनी की तुलना में कम घातक है NSS
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मई में एनएसएस को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें शरीर के वजन को नियंत्रित करने या मधुमेह जैसी गैर-संचारी बीमारियों (एनसीडी) के जोखिम को कम करने के लिए उनका उपयोग न करने की सिफारिश की गई थी। हालांकि मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार लिमिटेड मात्रा में इनका प्रयोग हानिकारक नहीं होता है। इसके विपरीत चीनी का सेवन करना ज्यादा घातक हो सकता है।
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WHO की गाइडलाइन में चीनी को हानिकारक बताते हुए इसे बीमारियां बढ़ाने वाला बताया गया है। यही वजह है कि चीनी की तुलना में एनएसएस की एक-दो गोलियां लेना ज्यादा हितकर है। हालांकि इसमें भी कैलोरी होती है जिसकी वजह से अधिक मात्रा में लेना मरीजों के लिए घातक हो सकता है। चीनी व अन्य कार्बोहाईड्रेट की तुलना में इसमें कैलोरी कम होने की वजह से इसे शरीर का वजन और चर्बी कम करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
एनएसएस से होते हैं नुकसान भी
डॉक्टर्स के अनुसार आर्टिफिशियल स्वीटनर्स भी कई वजहों से नुकसानदेह हो सकते हैं। एस्पार्टेम जैसे कुछ कृत्रिम मिठास स्ट्रोक के जोखिम से अधिक जुड़े हुए हैं, जबकि सुक्रोज और स्टीविया दिल के दौरे जैसे हृदय रोग के जोखिम से अधिक जुड़े हुए हैं। यह भी देखा गया है कि कृत्रिम मिठास आंत में कुछ सूजन पैदा करती है, इससे वाहिका की दीवार अस्वस्थ हो जाती है। जो मरीज पहले से ही मधुमेह और उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं, उन्हें पहले से ही हृदय रोग होने का खतरा होता है, जो और भी बढ़ जाता है। ऐसे में इनका उपयोग बहुत सोच-समझकर डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा हाल ही किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि भारत लगभग 101 मिलियन मधुमेह रोगियों और 136 मिलियन पूर्व-मधुमेह लोगों का घर है। द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों से यह भी पता चला है कि भारत में उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से पीड़ित 315 मिलियन लोग रहते हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि देश में डायबिटीक और बीपी के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार को इस संबंध में एक आधिकारिक गाइडलाइन जारी करनी चाहिए।
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