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दवा से नहीं, मां की लोरी से कम होता है बच्चों का दर्द, नई रिसर्च में हुआ खुलासा

Science News: भारतीय आध्यात्म में संगीत को ईश्वर की आऱाधना माना गया है। यह निराशा को उत्साह में बदल कर डिप्रेशन को उड़न छू कर सकता है। हाल ही हुई एक रिसर्च के नतीजों ने भी इस धारणा पर अपनी मोहर लगा दी है। इस रिसर्च में सामने आया है कि म्यूजिक छोटे बच्चों में […]

Science News: भारतीय आध्यात्म में संगीत को ईश्वर की आऱाधना माना गया है। यह निराशा को उत्साह में बदल कर डिप्रेशन को उड़न छू कर सकता है। हाल ही हुई एक रिसर्च के नतीजों ने भी इस धारणा पर अपनी मोहर लगा दी है। इस रिसर्च में सामने आया है कि म्यूजिक छोटे बच्चों में दर्द के अहसास को खत्म कर देता है या उसे बहुत कम कर सकता है। कुछ लोगों के अनुसार शिशुओं का मस्तिष्क दर्द अनुभव करने के लिए पर्याप्त रूप से विकसित नहीं होता है। परन्तु इस बात को वैज्ञानिकों ने झुठलाते हुए पाया है कि न केवल नवजात शिशु वरन गर्भस्थ शिशु भी वयस्कों की ही तरह दर्द का अनुभव करते हैं। यह भी पढ़ें: आपको मच्छर क्यों काटते हैं? वैज्ञानिकों ने रिसर्च में ढूंढा इसका सीक्रेट अमेरिका के फिलाडेल्फिया में थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध (Science News) में पाया गया है कि बच्चों में होने वाला शुरूआती दर्द आगे चलकर उनके लिए लॉन्ग टर्म प्रॉबलम्स खड़ी कर सकता है। इसलिए उनके दर्द को कम करने के लिए टीम ने एक आसान और ज्यादा प्रभावी तरीका ढूंढने पर काम किया। इसके लिए बच्चों में दर्द का आकलन करने का भी कार्य किया गया।

ऐसे किया बच्चों में दर्द का आकलन

शोधकर्ताओं ने शिशु के चेहरे के भाव, रोना, सांस लेने के पैटर्न, शरीर के विभिन्न अंगों के मूवमेंट आदि का गहन अध्ययन किया। टीम के प्रमुख डॉ. सामीनाथन और उनकी टीम ने 100 नवजात शिशुओं के दर्द के स्तर को मापा। 54 शिशुओं को दर्द होने के 20 मिनट पहले, जांच प्रक्रिया के दौरान तथा उसके बाद 5 पांच मिनट तक मोजार्ट लोरी सुनाई गई। इसके बाद एक स्टैण्डर्ड स्कोरिंग सिस्टम के जरिए शिशुओं के दर्द का स्तर मापा गया जो अधिकतम 7 तक पहुंच गया।

म्यूजिक सुनने वालों में था जीरो दर्द स्कोर

रिसर्च में पाया गया कि एडी में चुभन से पहले दोनों ग्रुप्स का स्कोर जीरो था। लेकिन जब एडी में चुभन की गई तो जो बच्चे म्यूजिक सुन रहे थे, उनका दर्द स्कोर बहुत कम था। उनका दर्द स्कोर लगभग चार था जो एक मिनट बाद जीरो हो गया था। लेकिन जिन बच्चों को लोरी नहीं सुनाई गई, एडी में चुभन के दौरान उनका दर्द स्कोर सात था जो एक मिनट बाद साढ़े पांच रह गया।

मां की आवाज में होता है जादू

रिसर्च में पाया गया कि बच्चों को लोरी सुनना बहुत पसंद है और म्यूजिक सुनने से उनका दर्द कम होता है। यही नहीं प्रीमैच्योर बेबी भी मां की आवाज सुनकर दर्द कम अनुभव करते हैं। इसका कारण है कि मां की आवाज सुनने से उनकी लार में ऑक्सीटोसिन का लेवल बढ़ जाता है। यह एक हार्मोन है जो शरीर में दर्द के प्रभाव को कम करता है।


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