भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) के प्रमुख एस सोमनाथ का कहना है कि अगर आने वाले समय में धरती को बचाना नामुमकिन हो जाता है तो सर्वाइवल के लिए मंगल यानी मार्स एक विकल्प हो सकता है। वह एस्टरॉयड्स से सुरक्षा के लिए बढ़ती चिंताओं और अंतरिक्ष में प्रोएक्टिव मानकों की जरूरत पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी स्थिति बनती है कि कुछ भी संभव नहीं है तो कम से कम हम मंगल पर माइग्रेट कर सकते हैं। उसके कुछ साल बाद हम वापस धरती पर आ सकते हैं और फिर से यहां जीवन की शुरुआत कर सकते हैं। यह भी एक संभावना है।
टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार एस सोमनाथ ने कहा कि एस्टरॉयड्स यानी उल्का पिंड की वजह से बड़े स्तर का विनाश होने की बड़ी आशंका है। लेकिन यह ऐसे कई खतरों में से केवल एक है जो धरती पर जीवन के लिए संकट बन सकते हैं। अन्य खतरों में क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन), बायोलॉजिकल चुनौतियां और प्रकृति का इवॉल्यूशन जैसे फैक्टर शामिल हैं। इसरो चीफ ने कहा कि समस्या का सार उस सीमित समय में सिमटा हुआ है जो ऐसे अचानक आने वाले खतरों से निपटने के लिए मिलेगा। पहले से तैयारी बहुत जरूरी है क्योंकि तबाही को बंकरों में शरण से कम नहीं किया जा सकेगा।
अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण पर क्या बोले सोमनाथ?
स्पेस वेपनाइजेशन यानी अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण के सवाल पर सोमनाथ ने इसका सीधे शब्दों में विरोध करते हुए कहा कि इसरो ऐसी कोई भी पहल नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम अंतरिक्ष का वेपनाइजेशन नहीं कर रहे हैं। अंतरिक्ष को सभी के लिए एक सुरक्षित स्थान होना चाहिए। सभी वहां जाकर बिना किसी डर या खतरे के ऑब्जर्वेशन और कम्युनिकेशन आदि कर सकें, इसकी स्वतंत्रता होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अंतरिक्ष क्षमताओं में इस तरह की एडवांसमेंट्स हथियारों पर निर्भरता को जागरूकता और नॉलेज के जरिए काफी कम कर सकती हैं। अंतरिक्ष सबके लिए सेफ हैवेन होना चाहिए।