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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने की अगले साल ‘अल नीनो’ आने की भविष्यवाणी, भारत में मौसम पर पड़ेगा खतरनाक असर

El Nino: अमेरिकी मौसम एजेंसी ने अगले साल 'सुपर अल नीनो' की संभावना की भविष्यवाणी की है, जिसका भारत के मानसून पर क्या असर हो सकता है

अल नीनो को लेकर अमेरिकी ने भविष्यवाणी की है।
El Nino: अमेरिकी मौसम विज्ञान एजेंसी ने अगले साल गर्मियों में मार्च-मई 2024 में नीनो की स्थिति बनने की भविष्यवाणी की है। इससे मॉनसून सीज़न पर असर पड़ सकता है जो ख़रीफ़ और रबी दोनों फसलों के लिए महत्वपूर्ण है। अमेरिकी राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन के जलवायु केंद्र ने यह पूर्वानुमान जताया है। अल नीनो के कारण दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में जल का गर्म होना दूर-दूर तक, दुनिया भर में चरम मौसम की घटनाओं को गहराई से प्रभावित कर सकता है। राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र ने मार्च से मई 2024 तक उत्तरी गोलार्ध में "मजबूत" एल नीनो घटना की भविष्यवाणी की है। संभावना है कि यह घटना 1997 की तरह "ऐतिहासिक रूप से मजबूत" हो सकती है। बता दें कि अल नीनो का वैश्विक मौसम पैटर्न पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जिससे खाद्य उत्पादन, पानी की उपलब्धता और पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होते हैं। भारत में, यह आमतौर पर मानसूनी हवाओं को कमजोर कर देता है और वर्षा कम हो जाती है। यह भी पढ़ें:  सूर्य से आएगी अगली बड़ी तबाही? वैज्ञानिकों को मिले भीषण तूफान के प्रमाण अमेरिकी मौसम विज्ञान एजेंसी का अनुमान है कि अगले वर्ष एक मजबूत अल नीनो की संभावना 75%-80% के बीच है, जिसका अर्थ है भूमध्यरेखीय समुद्र की सतह का तापमान औसत से कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म होगा। इसके साथ ही 30% तक संभावना है कि तापमान 2°C से अधिक बढ़ सकता है। इसके कारण तापमान, सूखा और बाढ़ दुनिया भर में कहर बरपा सकती है। भारत में अल नीनो आमतौर पर कमजोर होती मानसूनी हवाओं से जुड़ा है। शुष्क मौसम, जिसके कारण मानसून के मौसम में वर्षा कम हो सकती है। सुपर ईआई नीनो भारत में सामान्य मौसम पैटर्न को बाधित कर सकता है, जिससे असामान्य स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके कारण चरम मौसम की घटनाएं, भारी वर्षा और कुछ क्षेत्रों में बाढ़ और कई जगहों पर सूखा जैसी स्थिति बन सकती है। अल नीनो क्या है  अल नीनो इफेक्ट मौसम संबंधी एक विशेष घटना क्या स्थिति होती है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है। आसान भाषा में समझें तो इस इफेक्ट की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है। इसकी वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है, जिससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं। यह भी पढ़ें:  सूर्य की रोशनी की मदद से चांद पर बनाई जा सकती हैं पक्की सड़कें, वैज्ञानिकों की रिसर्च में सामने आई दिलचस्प बात


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