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इसरो के मुताबिक, आदित्य-एल1 सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र के अलावा विकिरण, ऊष्मा, कण प्रवाह तथा सूर्य के व्यवहार का भी अध्ययन करेगा। वहीं, इससे पहले आदित्य-एल1 को 16 दिन तक धरती के चक्कर लगाने हैं। इसके बाद ही वह सूर्य की ओर अपने मार्ग पर बढ़ेगा।
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इस दौरान आदित्य एल-1 16 दिनों के दौरान कुल 5 बार धरती की कक्षा बदलेगा। इसरो के अपडेट के अनुसार, 3 दिनों बाद फिर आदित्य एल-1 की कक्षा में बदलाव किया जाएगा। इसरो के वैज्ञानिकों का मानना है कि आदित्य-एल1 के अध्ययन से हमें सूर्य के व्यवहार समेत अन्य रहस्यों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
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