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Ram Mandir Dhwaja: 25 नवंबर को ही क्यों होगा अयोध्या में धर्म ध्वज का ध्वजारोहण? जानें धार्मिक और ज्योतिषीय कारण

Ayodhya Ram Mandir Dhwaja: अयोध्या में 25 नवंबर 2025 को राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज का ध्वजारोहण होने जा रहा है. पूरे शहर में 20 नवंबर से ही उत्सव का दिव्य माहौल है. आइए जानते हैं, आखिर 25 नवंबर की ही तिथि क्यों चुनी गई और इसके पीछे कौन-से धार्मिक और ज्योतिषीय कारण हैं?

Ayodhya Ram Mandir Dhwaja: अयोध्या में 25 नवंबर 2025 का दिन अत्यंत ऐतिहासिक होने जा रहा है. इस दिन राम मंदिर के शिखर पर 'धर्म ध्वज' का स्थापना संस्कार होगा, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ध्वजारोहण के रूप में सम्पन्न करेंगे. यह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा और आध्यात्मिक विरासत को समर्पित दिव्य पर्व है. 20 नवंबर से ही अयोध्या में धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं. हर गली और चौराहे पर उत्सव का एक अद्भुत वातावरण बन चुका है. आइए जानते हैं, 25 नवंबर को ही क्यों होगा अयोध्या में धर्म ध्वज का ध्वजारोहण, इसके धार्मिक और ज्योतिषीय कारण क्या हैं?

अयोध्या में उत्सव जैसा माहौल

20 से 25 नवंबर तक विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किए जा रहे हैं, जैसे- वैदिक मंत्रों से पूजन, भजन और संकीर्तन, दीप सज्जा, शोभायात्राएं, राम-सीता विवाह की झांकी आदि. इन आयोजनों से अयोध्या शहर में उत्सव का जोश ऐसा है जैसे त्रेतायुग के पावन क्षण फिर से धरती पर उतर आए हों.

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ये है ध्वजारोहण का शुभ मुहूर्त

ध्वज की स्थापना मंगलवार 25 नवंबर की सुबह हवन के बाद ध्वज पूजन किया जाएगा. यह अनुष्ठान दोपहर में अभिजित मुहूर्त में 11 बजकर 47 बजे से 12 बजकर 29 मिनट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा संपन्न किया जाएगा. आपको बता दें कि भगवान राम का जन्म भी दोपहर में अभिजित मुहूर्त में हुआ था.

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क्यों चुनी गई 25 नवंबर की तिथि?

ध्वज स्थापना की तिथि का चयन यूं ही नहीं किया गया है. विद्वानों, आचार्यों और ज्योतिषाचार्यों ने इस दिन के शुभ संयोगों का गहन अध्ययन कर इसे सर्वोत्तम पाया है. 25 नवंबर 2025 को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है, जिसे पूरे भारत में विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस पावन तिथि पर त्रेतायुग में भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था.

पौराणिक परंपरा के अनुसार, यह दिन प्रेम, पवित्रता, मंगल और सौभाग्य का प्रतीक है. इसलिए मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज की स्थापना इस दिव्य तिथि पर करना समस्त रामभक्तों के लिए अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव बनने जा रहा है.

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विवाह पंचमी का दिव्य महत्व

विवाह पंचमी केवल एक उत्सव नहीं बल्कि धर्म और आदर्शों के संगम का दिन है. राम-सीता का विवाह भारतीय संस्कृति में आदर्श दांपत्य और मर्यादा का प्रतीक माना गया है. ऐसे पवित्र दिन पर ध्वज का आरोहण मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है. आयोजन की शुभता को ऊंचाई देता है. राम-सीता के दैवीय मिलन के साथ भावनात्मक जुड़ाव स्थापित करता है. इस दिन अयोध्या में धार्मिक झांकी, गीत, भजन और विवाहोत्सव की झलक देखने को मिलेगी.

इस दिन बन रहा है दुर्लभ ग्रहयोग

25 नवंबर 2025 को ग्रहों की स्थिति भी विशेष रूप से अनुकूल है. ज्योतिषाचार्य हर्षवर्धन शांडिल्य और अन्य विद्वानों ने इस दिन बन रहे अद्भुत संयोग को अत्यंत शुभ माना है.

सूर्य-मंगल का योग: इस दिन सूर्य और मंगल दोनों वृश्चिक राशि में युति योग में रहेंगे. वृश्चिक मंगल की स्वयं की राशि है, और सूर्य के साथ मंगल का एक राशि में होना शक्ति, तेज, संरक्षण, साहस का संकेत देता है. यह योग किसी भी शुभ कार्य की सफलता को सुनिश्चित करने वाला माना जाता है.

शुक्र का तुला में होना: शुक्र अपनी स्वराशि तुला में विराजमान रहेंगे. यह योग सौंदर्य, आनंद, प्रेम और समृद्धि बढ़ाने वाला होता है.

गुरु का उच्च स्थान: देवगुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में रहेंगे. उल्लेखनीय है कि कर्क लग्न ही वह लग्न है जब भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था. इस प्रकार गुरु का उच्च स्थान आयोजन को जन्मकालिक शुभता और दिव्य सामंजस्य प्रदान करता है.

ध्वज स्थापना का धार्मिक महत्व

हिंदू परंपरा में ध्वज को विजय, धर्म, संरक्षण और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. धर्म ध्वज का मंदिर के शिखर पर स्थापित होना दर्शाता है कि मंदिर केवल एक निर्माण नहीं, बल्कि जीवंत आध्यात्मिक केंद्र है. इसका ध्वजारोहण यह दर्शाता है कि मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. साथ ही, ध्वज पर लहराती हवा को देवताओं का आशीर्वाद माना जाता है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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