Tulsi Vivah 2025: आज 2 नवंबर को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जा रहा है. तुलसी विवाह पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन कराया जाता है. तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है. तुलसी विवाह के दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम भगवान से कराया जाता है. आप आज तुलसी विवाह के दिन यहां बताई विधि से तुलसी विवाह करा सकते हैं. तुलसी माता का विवाह कराने से व्यक्ति को जीवन में आने वाले सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. तुलसी जी की पूजा से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है.
तुलसी विवाह पूजा सामग्री (Tulsi Vivah Puja Samagri)
तुलसी का पौधा
शालिग्राम भगवान
भगवान विष्णु की प्रतिमा
लकडी की चौकी
कलश और लाल वस्त्र
मूली, शकरकंद.
सिंघाड़ा, आंवला
बेर, मूली, अमरुद
सुहार की सामग्री
केले के पत्ते
हल्दी की गांठ
कपूर, धूप
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तुलसी विवाह पूजा शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah Shubh Muhurat)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह में 05:11 से 06:13
प्रातः सन्ध्या- सुबह में 05:42 से 07:14
अभिजित मुहूर्त- सुबह में 11:15 से 11:50
विजय मुहूर्त- दोपहर में 12:59 से 01:33
गोधूलि मुहूर्त- दोपहर में 03:51 से 04:22
सायाह्न सन्ध्या- दोपहर 03:51 से शाम 05:24
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तुलसी विवाह पूजा विधि (Tulsi Vivah Puja Vidhi)
घर के आंगन में तुलसी के पौधे को लकड़ी की चौकी पर कपड़ा बिछाकर रखें. लाल चुनरी से मंडप बनाएं. गमले में शालिग्राम भगवान रखें. तुलसी के पौधे और शालिग्राम भगवान को हल्दी लगाएं. शालिग्राम को हाथ में लेकर तुलसी के पौधे के पास सात बार परिक्रमा लगाएं. यह रस्म पुरुष को करनी चाहिए. इसके बाद श्रृंगार का सामान अर्पित करें. तुलसी विवाह कराने के बाद तुलसी जी के मंत्र पढ़ें और आरती करें.
तुलसी पूजा मंत्र (Tulsi Vivah Puja Mantra)
तुलसी गायत्री मंत्र
ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्
तुलसी विवाह मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये
तुलसी नामाष्टक मंत्र
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता
तुलसी स्तुति मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.