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Suryagrahan 2026: साल 2026 में कब-कब लगेगा सूर्यग्रहण, भारत में दिखेगा या नहीं, जानें सूतक काल

Suryagrahan 2026: साल 2026 में दो-दो सूर्यग्रहण लगने के योग हैं. आइए जानते हैं, अगले साल ये सूर्यग्रहण कब-कब लगेंगे, ये भारत में दिखाई देंगे या नहीं और इसका सूतक काल क्या रहेगा? जानिए ये सभी जानकारियां विस्तार से…

Suryagrahan 2026: सूर्य ग्रहण एक अद्भुत और दुर्लभ खगोलीय घटना है. यह तब होता है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं. उस समय चंद्रमा सूर्य को ढक देता है, जिससे पृथ्वी पर कुछ देर के लिए अंधकार छा जाता है. यह घटना केवल अमावस्या तिथि के दिन ही संभव होती है. हिन्दू धर्म में, सूर्य ग्रहण केवल खगोलीय नहीं बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से एक विशेष घटना है. ज्योतिषीय रूप से सूर्य ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए इस दौरान कई धार्मिक सावधानियां रखी जाती हैं. यही कारण है कि जनमानस इसे लेकर बहुत सतर्क रहता है. आइए जानते हैं, साल 2026 में सूर्यग्रहण कितनी बार और कब-कब लगेगा, यह भारत में दिखेगा या नहीं और इसका सूतक काल क्या होगा?

सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के बाद जब देवताओं और असुरों में अमृत बांटा जा रहा था, तब स्वरभानु नामक असुर ने देवता का रूप धारण कर अमृत पी लिया. तभी सूर्य और चंद्र देव ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया. भगवान विष्णु ने तत्काल अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया. चूंकि स्वरभानु अमृत पी चुका था, इसलिए वह मरा नहीं, बल्कि उसका सिर 'राहु' और धड़ 'केतु' के रूप में अमर हो गए. तभी से राहु सूर्य को और केतु चंद्रमा को निगलने का प्रयास करते हैं, जिससे सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है. राहु और केतु को ज्योतिष शास्त्र में 'छाया ग्रह' माना गया है.

सूर्य ग्रहण के प्रकार

सूर्य को चांद से ढंकने के प्रकार के अनुसार, सूर्य ग्रहण के मुख्य रूप से 4 प्रकार माने जाते हैं:

  • पूर्ण सूर्य ग्रहण: यह तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है. इसे 'खग्रास' ग्रहण (Total Solar Eclipse) कहते हैं.
  • आंशिक सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ढकता है, तो उसे खंडग्रास या आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) कहते हैं.
  • वलयाकार सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा दूर होने के कारण सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता और 'रिंग ऑफ फायर' बनती है, तो इस ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse)
  • हाइब्रिड सूर्य ग्रहण: यह दुर्लभ प्रकार है, जिसमें एक ही ग्रहण में आंशिक और वलयाकार दोनों स्थितियां बनती हैं. इसलिए इसे संकर या हाइब्रिड सूर्य ग्रहण (Hybrid Eclipse) कहते हैं.

साल 2026 में कब-कब लगेंगे सूर्य ग्रहण?

द्रिक पंचांग की ग्रहों की चाल की गणना के अनुसार वर्ष 2026 में कुल दो सूर्य ग्रहण होंगे:

  • पहला सूर्य ग्रहण: यह 17 फरवरी, 2026 (मंगलवार) को लगेगा. यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण है.
  • दूसरा सूर्य ग्रहण: यह 12 अगस्त, 2026 (बुधवार) को लगेगा. यह एक पूर्ण सूर्यग्रहण है.

एक आकलन के मुताबिक, पहला सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा, जबकि दूसरा सूर्य ग्रहण आर्कटिक क्षेत्र, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और एशिया के कुछ देशों में दिखाई देने की संभावना है.

भारत में दिखेगा या नहीं?

17 फरवरी 2026 को लगने वाला साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, क्योंकि उस समय सूर्य का दृश्य भाग देश में उपलब्ध नहीं होगा. लेकिन 12 अगस्त 2026 का सूर्य ग्रहण भारत में आंशिक रूप से दिखाई देगा. इस दिन शाम के समय सूर्य के कुछ हिस्से पर चंद्रमा की छाया पड़ेगी. यह ग्रहण देश कुछ उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों में अधिक स्पष्ट रहेगा.

सूर्य ग्रहण 2026 का सूतक काल

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से लगभग 12 घंटे पहले लग जाता है. इस दौरान धार्मिक कार्य, भोजन पकाना या ग्रहण के समय बाहर निकलना वर्जित माना जाता है. सूतक के समय पूजा-पाठ रोक दी जाती है, लेकिन ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान, दान और मंदिर दर्शन शुभ माने जाते हैं. गर्भवती महिलाओं को इस समय सावधानी रखने की सलाह दी जाती है.

ज्योतिषियों और पंडितों के अनुसार, भारत में साल 2026 के पहले सूर्य ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा, क्योंकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, जबकि दूसरा ग्रहण भारत में दृश्यमान है, इसलिए इसका सूतक मान्य होगा.

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