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Shri Nag Chalisa । श्री नाग चालीसा: नाग देवता की कृपा पाने के लिए करें श्री नाग चालीसा का पाठ । Shri Nag Devta Chalisa Lyrics in Hindi

Shri Nag Devta Chalisa in Hindi: नागों की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है. नाग देवता की पूजा से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. आपको नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए नाग देवता की पूजा-अर्चना के साथ ही चालीसा का पाठ करना चाहिए. श्री नाग चालीसा का पाठ करने से नाग देवता की कृपा बनी रहती है.

Photo Credit- News24GFX

Shri Nag Devta Chalisa Lyrics in Hindi: नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए आपको नाग देवता की पूजा और आरती के साथ ही चालीसा का पाठ करना चाहिए. नाग देवता के चालीसा का पाठ करने से आपके ऊपर सदा नाग देवता की कृपा रहेगी. श्री नाग चालीसा का पाठ करने के लिए आपको स्नान कर नाग देवता की प्रतिमा के समक्ष बैठना है. इसके बाद विधि-विधान से पूजा करनी है. नाग देवता की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें और फिर चालीसा का पाठ करें.

श्री नाग देवता चालीसा (Shri Nag Devta Chalisa Lyrics)

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं
शन्खपाल धृतराष्ट्र च तक्षकं कलिय तथा

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एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं
सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातः काल विशेषतः

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नमो नमो भिलट सुख करते, नमो नमो देवा द:ख हरते
मनभावन है रूप तुम्हारो, तिहुँ लोक फैलो उजियारों ।।

कोमल अंग, श्याम रंग प्यारा, चाल चलत रेवा सी धारा ।
सेंदुर घृत संग चोला साजे, जाकों देख मन हर्ष विराजे ।।

रूप तुम्हारों अधिक सुहावे, दरस करत जन अति सुख पावे ।
प्रलयकाल सब नाशन हारे, तुम गोरी शिव शंकर प्यारे ।।

शेषनाग बन धरा उठाये, महादेव गल माल सजाये ।
लक्ष्मण रुप लियो जगदाता, रामकाज कियो सुखदाता ||

नागलवाड़ी में तुम्ही विराजत, सतपुड़ा पर्वत तुमसे साजत ।
सब जीवनमय ताप हरते, बांझन की तुम झोली भरते ।।

सांचे मन जब नाम लेवा, श्री तेजा तारा जगदेवा ।
महिमा अपरमपार तिहारी, मनवर दो मोहे इच्छाधारी ॥

बंगाल का हुर लीला रचाई, संग चलत है भैरव भाई ।
चमत्कार तैलन को बतायो, बारम्बार प्रणाम करायो ।।

घाणा से श्री भैरव छुड़ायो, मां पदमा संग ब्याह रचाये |
श्री विष्णु संग लगन लगाई, वासुनाग बन सैया सजाई ।

बलराम रूप घर साथ निभायों, कृष्ण से फण पै नाच नचायों।
देव दानव जब युद्ध छिड़यों, तब तुमकों ही रास बनायों ॥

उग्र रूप जब आप धराये, भय और बाधा पास न आये ।
जब जब नाम करों उच्चारण, रूप अनेक करों प्रभु धारण ॥

अनन्त नाग तुभ वासुकी राजा, नदीपहेट के भिलट क्वाजा ।
शेष, पदम, कम्बलं जगदाता, शंख पाल धृतराष्ट्र विधाता ।।

तक्षक कालिया से काल डर भागे, शुभ कारज तुम रहते आगे ।
धूप दीप जो दूध चढ़ावे, नर नारी मनवांछित फल पावे ||

नाग पंचमी तुम्हें अती भावे, रविवार भी अधिक सुहावे ।
तुम विमली में विचरण करते, क्षण में दुनिया के दुख हरते ।।

रविवार श्री फल जो चढ़ावें, काल सर्प प्रभू दोष छुडावे ।
ब्रह्म मुहूर्त जो तुमकों ध्यावे, शिवकृपा पात्र बन जायें ।।

खाली हाथ को कर्म सिखाते, रंक को राजा पल में बनाते ।
जन जन मन फेलो, अंधियारों, द्वार खड़ो में सेवक थारों ॥

आके नाथ मोहे दरश दिखाओं, भटके मन को राह बताओं ।
तुम बिन किसकी शरण में जाउ, कण कण में तुमकों ही पाउ ।।

भक्तन से प्रभु प्रित लगाते, संकट में तुम साथ निभातें ।
जब तक जियू तुम्हरे गुण गाऊँ, तुम्हरों जस में सदा सुनाउ ॥

नाग चालीसा जो कोई गावें, सुख संपत्ति धन धान्य वो पावे ।
मुझको देवा कष्ट अति घेरों, तुम बिन कौन हरे दुःख मेरों ।।

मात पदमा संग वासुकी स्वामी, कृपा करहुँ अब अंतरयामी ।
दया करों पाताल निवसी, दर्शन दो मौहे अंखिया प्यासी ॥

अज्ञान चूक क्षमा करों देवा, रखलों लाज सफल करों सेवा ।
भिलट नाम जो मन से ध्यावें, सब सुख भोग परम पद पावें।।

दोहा

श्याम देह सिंदूरी सी, अरुधरी तेज सौ रूप
शांत देव मन शांती दे, जय जय जय नांग रूप ।।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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