Shatpath Brahman: सनातन धर्म में हवन एक ऐसा अनुष्ठान है जो सदियों से धर्म और अध्यात्म से जुड़ा रहा है। यह सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि विश्वास, आस्था और शक्ति का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता है कि हवन के माध्यम से दी गई आहुतियों को देवता को स्वीकार करते हैं और प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यह विश्वास किया जाता है कि हवन में जलाए जाने वाले सामग्रियों से निकलने वाला धुआं वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है।
हवन की वैज्ञानिक व्याख्या
पतंजलि योगपीठ के संस्थापक बाबा रामदेव ने अपने एक्स हैंडल 'स्वामी रामदेव' पर एक वीडियो ने बताया कि यज्ञ और हवन के प्रति हिन्दू धर्म के विश्वास को अब विज्ञान से पुष्टि और समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान से हजारों सालों पहले हमारे धर्म ग्रंथों में हवन या होम की वैज्ञानिक व्याख्या कर दी थी। इसके लिए उन्होंने ब्राह्मण ग्रंथों में एक सबसे प्रसिद्ध 'शतपथ ब्राह्मण' के हवाले से बताया कि हवन केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है। सभी ब्राह्मण ग्रंथों सबसे विशाल शतपथ ब्राह्मण में हवन की वैज्ञानिक व्याख्या दी गई है।
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क्या कहता है शतपथ ब्राह्मण?
बाबा रामदेव ने शतपथ ब्राह्मण के नौवें अध्याय के तीसरे कांड के हवाले से बताया कि जब उचित समिधा और सामग्रियों से हवन किया जाता है, तो न केवल सभी प्रकार के ग्रह दोष, वास्तु दोष, कालसर्प दोष, प्रारब्ध दोष आदि दूर हो जाते हैं, बल्कि बैक्टीरिया, वायरस, फंगस जैसे रोगाणु और कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। इनके नष्ट होने से हमें 'आरोग्य' यानी उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
हवन प्रदूषण नहीं 'नैनो मेडिसिन' है
हवन के चिकित्सा गुणों के बारे में बाबा रामदेव ने कहा कि हवन प्रदूषण नहीं है, बल्कि 'नैनो मेडिसिन' है। हवन में उपयोग की जाने वाली सामग्रियां और जड़ी-बूटियां जब हवन की अग्नि में डाली जाती हैं, तो वह 'नैनो मेडिसिन' बन जाती है। इन सामग्रियों के हवन की अग्नि में डालते ही सभी दैवी शक्तियां आपके आसपास घनीभूत हो जाती हैं और आप पर अनुग्रह बरसाती हैं। साथ ही यज्ञ का धुआं आसपास की सभी बैक्टीरिया, वायरस, फंगस को समाप्त कर वातावरण को शुद्ध कर देता है। बता दें कि आयुर्वेद में इसे 'अग्निहोत्र चिकित्सा' कहा गया है।
अग्निहोत्र चिकित्सा क्या है?
अग्निहोत्र हवन या होम का एक प्रकार है, जिसमें गाय के गोबर के उपले, चावल, घी और औषधीय पौधे, जड़ी-बूटियां आदि लकड़ी या समिधा के रूप में उपयोग की जाती हैं। इस हवन का धुआं वातावरण को शुद्ध करने में सहायता करता है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण होता है। धर्मग्रंथों के मुताबिक, अग्निहोत्र होम सूर्योदय और सूर्यास्त के समय विशेष लाभकारी है। अग्निहोत्र अनुष्ठान की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी उम्र, लिंग या धर्म कुछ भी हो, कर सकता है।
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