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Satyug Diwas 2025: आज से शुरू हुआ था सतयुग, जानें भगवान विष्णु के 4 अवतार और इस युग की प्रमुख घटनाएं

Satyug Diwas 2025: जानिए कार्तिक मास की कौन-सी खास तिथि पर शुरू हुआ सतयुग, यह कितने वर्षों का युग था, भगवान विष्णु के कौन-से 4 अवतार हुए और इस युग की प्रमुख घटनाएं क्या थीं?

Satyug Diwas 2025: कार्तिक मास हिन्दू धर्म और समय के इतिहास में बेहद महत्व रखता है. इस माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि बेहद खास है. इस तिथि को हिन्दू धर्म के चार युगों में से पहले युग 'सतयुग' की शुरुआत हुई थी. साल 2025 में यह दिन 31 नवंबर को यानी आज है. आइए जानते हैं, हिन्दू धर्म के 4 युग कौन-कौन से हैं, सतयुग कितने वर्षों का था, सतयुग में भगवान विष्णु के कितने अवतार हुए थे और इस युग में कौन-कौन सी प्रमुख घटनाएं हुई थीं?

हिन्दू धर्म के 4 युग

वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, समय सीधा नहीं बल्कि चक्र के रूप में चलता है, जहां घटनाएं खुद को दोहराती हैं. यह चक्र 4 युगों में बंटी है. पुराणों के अनुसार, ये सभी मिलकर चतुर्युग बनाते हैं. ये हैं:

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  • सतयुग: इस युग में सत्य, धर्म और नैतिकता अपने उत्कर्ष थी.
  • त्रेतायुग: इस युग धर्म तीन पैरों पर टिका थे. भगवान राम का जन्म इसी युग में हुआ था.
  • द्वापरयुग: इस युग धर्म केवल दो पैरों पर रह गया था. इस युग में भगवान कृष्ण का अवतार हुआ थ.
  • कलियुग: इस युग धर्म केवल एक पैर पर टिका रहेगा. यह सबसे छोटी आयु का युग है. हम वर्तमान में इसी युग में हैं.

इतने वर्षों का था सतयुग?

पुराणों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल नवमी को आरंभ हुआ सतयुग 17 लाख 28 हजार वर्षों का था. इस युग की प्रमुख विशेषताएं थीं- धर्म, सत्य, तपस्या और दया. मनुष्यों का जीवन इन नैतिक मूल्यों पर आधारित था. इस युग में कोई पाप या छल नहीं था. लोग ज्ञानी, पवित्र, बेहद लंबे और दीर्घायु होते हैं. कहते हैं, मनुष्य की आयु लगभग 2 लाख वर्ष हुआ करती थी?

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सतयुग में हुए थे विष्णु के 4 अवतार

सतयुग में भगवान विष्णु ने मुख्य रूप से 4 अवतार लिए थे: मत्स्य, कूर्म, वराह और नरसिंह. जैसा कि वेदों और पुराणों में वर्णित है, प्रत्येक अवतार का उद्देश्य पृथ्वी और जीवों की रक्षा करना था. ये अवतार भक्ति, साहस और न्याय के अद्भुत उदाहरण भी हैं. ये हैं:

  • मत्स्य अवतार: प्रलय के समय वेदों और मानवता को बचाने के लिए यह अवतार हुआ था.
  • कूर्म अवतार: यह अवतार समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को सहारा देने के लिए लिया गया था.
  • वराह अवतार: यह पृथ्वी को जलमग्न होने से बचाने के लिए हुआ था.
  • नृसिंह अवतार: भगवान विष्णु ने यह अवतार राक्षस हिरण्यकश्यप का वध कर भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए लिया था.

सतयुग की प्रमुख घटनाएं

समुद्र मंथन: देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीरसागर का मंथन किया, जिससे अमृत, लक्ष्मी, कामधेनु, ऐरावत हाथी, कल्पवृक्ष और हलाहल विष सहित 14 रत्न प्राप्त हुए. देवी लक्ष्मी और विष्णु का विवाह भी इसी समय हुआ था.

सनातन धर्म की स्थापना: इस युग में सनातन धर्म पूरी तरह से स्थापित था. सभी लोग धार्मिक सिद्धांतों का पालन करते थे. धर्म अपने चारों स्तंभों- तप, पवित्रता, दया और सत्यता पर पूर्ण रूप से मौजूद था.

शिव-सती विवाह: ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और देवी सती का विवाह भी सतयुग में हुआ था. देवी सती का दाह और उनके अंगों का विच्छेदन भी इसी युग में हुआ था.

ध्रुव की तपस्या: बालक ध्रुव की कठोर तपस्या और भगवान विष्णु द्वारा उन्हें 'ध्रुव तारे' के रूप में एक स्थिर और स्थायी स्थान दिए जाने की कथा भी इसी युग से संबंधित है.

महिषासुरमर्दिनी अवतार: भगवान कार्तिकेय, गणेश और महिषासुरमर्दिनी देवी दुर्गा की उत्पत्ति इसी युग में हुई थी। कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध भी इसी युग में किया था।

राजा हरिश्चंद्र का शासन: भगवान राजा के वंशज राजा हरिश्चंद्र के शासनकाल की घटना भी सतयुग के अंत के समय की मानी जाती है, जो सत्य के प्रति उनके अटूट समर्पण को दर्शाती है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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