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Ramadan 2025: ‘जहन्नुम की आग’ से बचने का ‘अशरा’ कौन सा? जानिए कब से होगा शुरू

Ramadan 2025: रमजान इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना कहा जाता है। इस दौरान दुनिया भर के मुसलमान रोजा रखते हैं। इस महीने को तीन भागों में बांटा गया है, जिन्हें अशरा कहा जाता है। जानिए रमजान में तीसरा अशरा कब से शुरू होगा?

Ramadan 2025: हर साल मुसलमान इस्लामी कैलेंडर के 9वें महीने में साथ रोजा रखते है। रमजान के महीने का रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है। शारीरिक रूप से सक्षम मुसलमानों को पूरे महीने के प्रत्येक दिन सुबह से शाम तक बिना कुछ खाए पिए रहना होता है। रमजान का महीना चांद दिखने के आधार पर 29 से 30 दिनों तक चलता है इस पाक महीने को तीन चरणों में विभाजित किया गया है, जिन्हें रमजान का 'अशरा' कहा जाता है। आज हम जानेंगे रमजान के तीसरे अशरे के बारे में। इस अशरे में क्या होता है और यह कब से शुरू होगा?

रमजान का अशरा

पहला अशरा अल्लाह (रहम) की दया को दिखाता है। दूसरा अशरा अल्लाह की माफी (मगफिरत) को दिखाता है। तीसरा अशरा जहन्नुम से सुरक्षा (निजात) को दिलाने के लिए है। ये भी पढ़ें: Ramadan 2025: रमजान में कब से शुरू होगा दूसरा ‘अशरा’? जानिए इसका महत्व

तीसरा अशरा कब से शुरू?

कहा जाता है कि रमजान केमहीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है। रमजान का तीसरा अशरा रमजान के आखिरी 10 दिनों वाला होता है। ये दिन जहन्नम की आग से बचने के लिए होते हैं। इस दौरान 'अल्लाहुमा अजिरनी मिनान नार' पढ़ना चाहिए, जिसका मतलब होता है, 'या अल्लाह! मुझे नरक की आग से बचाओ'।

क्या करना चाहिए?

इन 10 दिनों में नरक की आग से बचने के लिए हमें अल्लाह की इबादत करनी चाहिए। अल्लाह को खुश करने और उसके आदेशों का पालन करने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा, एतिकाफ में बैठना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा अपका वक्त इबादत में गुजरे। कई लोग 10 दिनों के एतिकाफ (इबादत के लिए किसी शांत जगह पर बैठना, इस दौरान दुनियादारी से दूर रहते हुए केवल इबादत करते हैं) में बैठते हैं, तो कई लोग 3 दिन के में बैठते हैं। जितना हो सकें जहन्नुम की आग से पनाह पाने के लिए दुआ करनी चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि रमजान का महीना बरकतों, रहमतों और मगफिरत से भरा हुआ है। यह सभी मुसलमानों के लिए अल्लाह से और अधिक बरकतें पाने और अपनी माफी के लिए दुआ करने का खास मौका होता है। ये भी पढ़ें: Ramadan 2025: रमजान में पहला ‘अशरा’ क्या? कब से कब तक रहेगा, जानिए इसका महत्व


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