Powerful Shani Mantra: हिन्दू धर्म में शनि देव को कर्म और न्याय का देवता माना गया है. कहते हैं, व्यक्ति जैसे कर्म करता है, वैसा ही फल शनि देव प्रदान करते हैं. जब शनि अनुकूल होते हैं, तब जीवन में स्थिरता, अनुशासन, धन और मान-सम्मान मिलता है. जब शनि प्रतिकूल होते हैं, तब कार्यों में रुकावट, मानसिक दबाव और आर्थिक समस्याएं बढ़ जाती हैं. ऐसे समय में शक्तिशाली शनि मंत्रों का नियमित जाप जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है. आइए अर्थ और उपयोग सहित जानते हैं, 5 प्रसिद्ध शनि मंत्र.
शनि मंत्रों का महत्व
शनि मंत्र व्यक्ति के जीवन को अनुशासित बनाते हैं. ये मंत्र धैर्य, आत्मबल और सही निर्णय लेने की शक्ति बढ़ाते हैं. शनिवार के दिन श्रद्धा से किया गया जाप शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैया के प्रभाव को कम करता है. नियमित अभ्यास से जीवन में धीरे-धीरे अच्छे परिणाम दिखाई देते हैं.
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शनि महामंत्र
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्.
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
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अर्थ और उपयोग: यह शनि देव का प्रमुख मंत्र है. इसमें शनि देव के नील वर्ण, सूर्य पुत्र और न्यायप्रिय स्वरूप का स्मरण किया जाता है. इस मंत्र का जाप जीवन में स्थिरता और धैर्य लाता है. नौकरी, व्यवसाय और शिक्षा में आने वाली बाधाएं कम होती हैं. यह मंत्र आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होता है.
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥
अर्थ और उपयोग: यह अत्यंत शक्तिशाली बीज मंत्र है. इसका नियमित जाप शनि देव को शीघ्र प्रसन्न करता है. नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और अचानक आने वाली परेशानियों से राहत मिलती है. यह मंत्र सौभाग्य और सुरक्षा के लिए लाभकारी माना जाता है.
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शनि गायत्री मंत्र
ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात्॥
अर्थ और उपयोग: यह मंत्र बुद्धि और विवेक को जागृत करता है. सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है. मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव में कमी आती है. विद्यार्थी और कार्यरत लोग इस मंत्र से विशेष लाभ पाते हैं.
शनि मूल मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः॥
अर्थ और उपयोग: यह शनि देव का सबसे सरल मंत्र है. इसका जाप करना आसान है और प्रभाव भी शीघ्र दिखाई देता है. आर्थिक तंगी, कर्ज और धन रुकावट में यह मंत्र सहायक होता है. नियमित जाप से शनि की शुभ दृष्टि प्राप्त होती है.
दशरथकृत शनि स्तोत्र (अंश)
नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च.
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः॥
अर्थ और उपयोग: यह स्तोत्र राजा दशरथ द्वारा रचित माना जाता है. इसका पाठ शनि के कठोर प्रभावों को शांत करता है. साढ़ेसाती, ढैया और शनि महादशा के समय यह स्तोत्र विशेष फल प्रदान करता है. यदि शनि के कोप से अधिक पीड़ित हैं, तो संपूर्ण स्तोत्र का जाप करना लाभकारी माना गया है.
शनि मंत्र जाप की विधि
- शनिवार, त्रयोदशी तिथि या शनि अमावस्या के दिन स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें.
- शांत स्थान पर बैठकर 108 बार मंत्र जाप करें.
- शनि मंदिर या पीपल के वृक्ष के नीचे जाप करना शुभ माना जाता है.
- सरसों तेल का दीपक जलाकर श्रद्धा से प्रार्थना करें.
मान्यता है कि इन मंत्रों के नियमित जाप और अभ्यास से जीवन में सफलता, सौभाग्य और धन के मार्ग खुलते हैं.
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।