Navratri 2024: हिन्दू धर्म में हर प्रमुख पूजा में हवन जरूर किया जाता है। हवन की अग्नि और सुगंथित धुएं के माध्यम से यज्ञ, अनुष्ठान और पूजा का भाग नवग्रहों और देवी-देवताओं तक पहुंचाया जाता है, ताकि वे प्रसन्न रहें और अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें। 3 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और इसका समापन 12 अक्टूबर को होगा। दुर्गा पूजा की अष्टमी और नवमी तिथियों को हवन करने की परंपरा है। इस बार महाअष्टमी का हवन 11 अक्टूबर और महानवमी का हवन 12 अक्टूबर को किया जाएगा। आइए जानते हैं, हवन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, कौन-सी गलती करने से बचनी चाहिए, वैदिक मंत्र क्या है और हवन सामग्रियों की सूची क्या है?
हवन करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
हवन करते समय, पूजा और तिलक के लिए अनामिका उंगली का इस्तेमाल करें।
हवन में आहुति देने के लिए, अनामिका उंगली में आम की पत्ती या कुशा पहनें।
हवन सामग्री को सोना, चांदी, पीतल, कांसे या पत्तल में रखकर ही आहुति दें।
हवन की लकड़ी में बेल, आम, और पलाश की लकड़ी समेत सभी ग्रहों की लकड़ियों को जरूर शामिल करें।
हवन के लिए काले तिल, जौ, घी, कपूर, गुग्गल, बेल, गुड़, मेवा वगैरह का इस्तेमाल करें। सामग्रियों की पूरी लिस्ट आप नीचे देख सकते हैं।
हवन कुंड के लिए 8 या 16 ईंटें लगाकर वेदी बनाएं या फिर बाजार से भी हवन कुंड ला सकते हैं।
हवन कुंड के पास धूप-दीप जलाएं करें
एक स्वस्तिक बनाकर रक्षा सूत्र बांधें, द्रव्य अर्पित कर पूजा करें।
अब हवन कुंड में आम की लकड़ी, कपूर और घी रखकर जलाएं।
अब हवन कुंड की अग्नि में हविष्य की आहुति देते समय मंत्रों का जाप करें। आवश्यक मंत्रों की लिस्ट आप नीचे देख सकते हैं।
हवन के बाद मां दुर्गा की आरती करें।
आखिर में खीर, शहद, दही-चूरा मिलाकर अग्निदेव को आहुति दें।
सबसे अंत में हवन कुंड की अग्नि में नारियल और सुपारी डालें।
यदि आपकी मनौती है, तो हवन पूर्ण होने के बाद कन्याओं को भोजन कराएं।
हवन में न करें ये गलतियां
हवन करते समय आसन को पैरों से न खिसकाएं। आसन हमेशा हाथ से बिछाना, खिसकाना और उठाना चाहिए।
कभी हवन को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
हवन सामग्री में भूल से भी सफेद तिल नहीं मिलाना चाहिए।
हवन सामग्री में भूल से भी कुमकुम, रोली या सिंदूर नहीं डालना चाहिए।
हवन समाप्त होने के बाद हवन कुंड या स्थान के आसपास बिखरे हवन सामग्री को उठाकर अग्नि में नहीं डालना चाहिए।
हवन समाप्त होने के बाद हवन कुंड की अग्नि और राख को पानी डालकर नहीं बुझाना चाहिए। कुंड की सभी हविष्य यानी सामग्री को अच्छी तरह से जलाकर राख बना देना चाहिए।
नवरात्रि में अष्टमी-नवमी तिथि में हवन करने के लिए हवन कुंड की व्यवस्था सबसे पहले करें। इसके बाद इन हवन की इन सामग्रियों को जमा कर लें: पंचमेवा, जटा नारियल, गुलर की छाल, चंदन की लकड़ी, कलावा, धूप, गुग्गुल, लोबान, शहद, अश्वगंधा, गाय का घी, फूल, मुलेठी की जड़, कपूर, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, शक्कर, पीपल का तना, छाल, बेल, नीम, तिल, मखाना, चावल, जायफल, सिन्दूर, जौ, आम की लकड़ी, नवग्रह की लकड़ी।
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