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Neem Karoli Baba: कैंची धाम जाने से पहले जान लें ये बातें, वरना अधूरी रह जाएगी बाबा नीम करोली की यात्रा

Neem Karoli Baba: क्या आप बाबा नीम करोली के दिव्य कैंची धाम की यात्रा की सोच रहे हैं? जानिए कौन-से नियम, समय और आचार से यह यात्रा केवल दर्शन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाती है. कौन-सी छोटी गलती आपकी यात्रा को अधूरी कर सकती हैं, इसलिए पढ़ें यह आर्टिकल और जाने कैंची धाम यात्रा से जुड़ी अहम बातें.

Neem Karoli Baba: उत्तराखंड के नैनीताल जिले की गोद में बसा कैंची धाम आज विश्वभर में श्रद्धा का केंद्र बन चुका है. इस पावन स्थान की स्थापना महान संत बाबा नीम करोली ने की थी, जिन्हें हनुमान जी का भक्त ही नहीं, बल्कि कुछ लोग उनका अवतार भी मानते हैं. बाबा की सादगी, प्रेम और सेवा की भावना ने लाखों लोगों के जीवन को आध्यात्मिक दिशा दी है. कहा जाता है कि बाबा के नाम मात्र से ही मन को शांति मिलती है.

हर साल लाखों भक्त यहां बाबा के दर्शन के लिए आते हैं. अगर आप भी कैंची धाम की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातें जानना बेहद आवश्यक है ताकि आपकी यात्रा न केवल सुखद बल्कि आत्मिक रूप से पूर्ण हो सके.

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कैंची धाम यात्रा से पहले की तैयारी

  • सात्विक जीवन अपनाएं: यात्रा से कुछ दिन पहले से ही सात्विक भोजन करें. मांस, शराब या किसी नशे का सेवन न करें. ऐसा करने से मन और शरीर दोनों शुद्ध रहते हैं.
  • बड़ों का आशीर्वाद लें: घर से निकलने से पहले बड़ों के चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें. माना जाता है कि इस शुभ आशीर्वाद से यात्रा में कोई बाधा नहीं आती.
  • जरूरतमंदों की मदद करें: रास्ते में यदि कोई दुखी, गरीब या दिव्यांग व्यक्ति मिले, तो उसकी मदद करें. यह बाबा की शिक्षाओं का पालन है- 'सेवा ही सच्ची भक्ति है.'
  • मन को शांत रखें: यात्रा के दौरान किसी भी तरह के विवाद, बहस या क्रोध से दूर रहें. मन को शांत और सकारात्मक बनाए रखना बाबा के दर्शन का पहला कदम है.

कैंची धाम में आश्रम में नियम

  • उचित वस्त्र पहनें: आश्रम में छोटे या खुलासे कपड़े पहनना वर्जित है. ऐसे कपड़े पहनें जिनसे कंधे और शरीर ढके रहें. जरूरत पड़ने पर मंदिर में शॉल भी उपलब्ध होते हैं.
  • मौन और शांति बनाए रखें: आश्रम में मोबाइल या लैपटॉप का प्रयोग न करें. विशेष रूप से सुबह के समय 8 बजे तक मौन रहना शुभ माना जाता है.
  • फोटोग्राफी निषेध: मुख्य मंदिर और आश्रम परिसर में फोटो या वीडियो बनाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. बाबा की उपस्थिति को केवल मन में बसाने का प्रयास करें.
  • बैठने का शिष्टाचार: बैठते समय अपनी पीठ या पैर कभी भी तख्त या वेदी की ओर न करें. यह अनादर माना जाता है.
  • नशे और मांस से दूरी: आश्रम परिसर में शराब, तंबाकू, मांस या अंडे का सेवन सख्त मना है. यह स्थान पूर्णतः सात्विक वातावरण वाला है.

कैंची धाम में रहने और प्रसाद की व्यवस्था

आश्रम में सीमित ठहरने की सुविधा है और इसके लिए पहले से अनुमति लेनी पड़ती है. भक्तों को अधिकतम तीन दिन तक रुकने की अनुमति दी जाती है. यदि आश्रम में स्थान न मिले, तो 9 किमी दूर भवाली या 17 किमी नैनीताल में ठहरने के कई अच्छे विकल्प मौजूद हैं. मंगलवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार को भक्तों को सात्विक भोजन प्रसाद निःशुल्क परोसा जाता है. यह प्रसाद केवल भोजन नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुभव होता है.

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कैंची धाम में सेवा और साधना

आश्रम में रहकर आप ध्यान, प्रार्थना और निस्वार्थ सेवा (सेवा) में भाग ले सकते हैं. बाबा नीम करोली का सन्देश था, 'जो दूसरों की सेवा करता है, वही सच्चा भक्त है.' आप चाहे सफाई करें, फूल चढ़ाएं या भोजन वितरण में सहयोग दें. यह सब सेवा का ही रूप है.

कैंची धाम दर्शन-आरती टाइमिंग

कैंची धाम मंदिर प्रतिदिन सुबह 6:45 बजे खुलता है और रात 8:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है, जबकि मंगलवार को विशेष अवसर पर मंदिर रात 9:00 बजे तक खुला रहता है. सुबह की आरती का समय दर्शन हॉल में 6:45 बजे और मुख्य मंदिर में 7:00 बजे निर्धारित है. वहीं शाम की आरती दर्शन हॉल में 6:45 बजे और मुख्य मंदिर में 7:00 बजे संपन्न होती है. मंगलवार के दिन शाम की आरती के बाद भक्तों के लिए रात 9:00 बजे तक भक्ति-कीर्तन का विशेष आयोजन किया जाता है.

ये हैं कैंचीधाम यात्रा का बेस्ट टाइम

कैंची धाम जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक है. इन महीनों में मौसम सुहावना और रास्ते सुरक्षित रहते हैं. जुलाई-अगस्त में भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण यात्रा कठिन हो सकती है, इसलिए इन महीनों में जाने से बचें. आपको बता दें कि हर साल 15 जून को आश्रम का स्थापना दिवस भव्य रूप में मनाया जाता है, जो यहां आने का एक बेस्ट टाइम हो सकता है.

बाबा के चारधाम यात्रा को पूर्ण बनाएं

कैंची धाम के अलावा बाबा नीम करोली जी से जुड़े चार प्रमुख स्थल हैं, जिनके दर्शन से यात्रा को पूर्ण माना जाता है:

  • हनुमानगढ़ी: नैनीताल के पास स्थित मंदिर, जिसे बाबा ने स्वयं बनवाया था.
  • भूमियाधार आश्रम: नैनीताल से लगभग 12 किमी दूर, जहां बाबा अक्सर ठहरते थे.
  • काकड़ी घाट आश्रम: भवाली-अल्मोड़ा मार्ग पर, जहां बाबा ने शिवलिंग की स्थापना की थी.
  • कैंची धाम: मुख्य धाम, जहां बाबा का आश्रम और हनुमान जी का मंदिर स्थित है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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