हर साल संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, जिसमें से मेष संक्रांति का खास महत्व है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, मेष संक्रांति हिन्दू वर्ष की पहली संक्रांति होती है, जिस दिन से हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि सूर्य देव जब जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसके नाम से संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, इस बार 14 अप्रैल 2025 को सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर सूर्य देव मेष राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में 14 अप्रैल 2025 को मेष संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।
मेष संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करना और व्रत रखना शुभ माना जाता है। इससे साधक की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और घर-परिवार में खुशियों का आगमन होता है। चलिए जानते हैं मेष संक्रांति के दिन सूर्य देव को प्रसन्न करने वाले अचूक उपायों के बार में।
मेष संक्रांति की पूजा के शुभ मुहूर्त
सूर्योदय- प्रात: काल 6:10
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर में 12:02 से लेकर 12:52 मिनट तक
अमृत काल- दोपहर में 02:27 से लेकर 04:16 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:33 से लेकर 05:21 मिनट कर
संक्रांति का क्षण- प्रात: काल 03:30
संक्रांति का पुण्य काल- प्रात: काल 05:57 से लेकर दोपहर 12:22 मिनट तक
संक्रांति का महा पुण्य काल- प्रात: काल 05:57 से लेकर सुबह 08:05 मिनट तक
मेष संक्रांति व्रत की पूजा विधि
प्रात: काल जल्दी उठें। स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध लाल या नारंगी रंग के कपड़े धारण करें।
सूर्य देव की पूजा करें और उन्हें जल से अर्घ्य दें। इस दौरान सूर्य मंत्रों का जाप करें।
घी का दीपक जलाएं।
हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
आरती करके पूजा का समापन करें।
मेष संक्रांति के अचूक उपाय
मेष संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से साधक को असंख्य शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।
मेष संक्रांति के शुभ दिन पूजा-पाठ करने के बाद कपड़े, जूते-चप्पल और अन्न का दान करना शुभ माना जाता है। इससे ग्रह दोष दूर होता है और व्यक्ति की सेहत और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए मेष संक्रांति के शुभ दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे साधक को सूर्य देव का तो विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा ही, साथ ही घर-परिवार में चल रही परेशानियां भी काफी कम हो जाएंगी।