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Last Masik Shivaratri 2025: कल है साल 2025 की आखिरी मासिक शिवरात्रि, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Last Masik Shivaratri 2025: कल 18 दिसंबर को साल 2025 की आखिरी मासिक शिवरात्रि है. मान्यता है कि भोलेनाथ की पूजा से उनकी कृपा मिलती है और अधूरी इच्छाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं, साल की यह आखिरी मासिक शिवरात्रि क्यों खास है और जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

Last Masik Shivaratri 2025: हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष स्थान है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत श्रद्धा और आस्था के साथ किया जाता है. वर्ष 2025 की अंतिम मासिक शिवरात्रि दिसंबर में पौष मास में आ रही है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. दिसंबर में पौष मास की मासिक शिवरात्रि को साल के समापन का प्रतीक भी माना जाता है. भक्त इस दिन बीते वर्ष की गलतियों से सीख लेकर नए संकल्प करते हैं. मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ अपने भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी करते हैं. सरल भक्ति से भी शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं और जीवन के कष्ट दूर करते हैं.

मासिक शिवरात्रिफ का पौराणिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि वह पावन समय है, जब शिव तत्व सबसे अधिक सक्रिय होता है. यही कारण है कि इस दिन ध्यान, जप और साधना का विशेष फल मिलता है. धार्मिक मान्यता कहती है कि शिवलिंग का प्राकट्य भी इसी तिथि से जुड़ा है. आध्यात्मिक रूप से यह पर्व आत्मशुद्धि और सकारात्मक सोच की प्रेरणा देता है. मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से मानसिक शांति मिलती है. वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है. अविवाहित लोगों को योग्य जीवनसाथी मिलने की मान्यता है.

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पूजा का शुभ मुहूर्त

साल 2025 की अंतिम मासिक शिवरात्रि कल 18 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी. इस दिन शिव पूजा के लिए रात्रि में निशिता काल सबसे उत्तम माना गया है. यह समय रात 11:51 से 12:45 तक रहेगा. इसके अलावा शाम को गोधूलि मुहूर्त 05:25 से 05:52 तक रहेगा. आपको बता दें कि इस दिन सुबह 07:08 से रात 08:07 तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. इस योग में की गई पूजा और व्रत विशेष फल प्रदान करते हैं.

ऐसे करें महादेव की पूजा

  • मासिक शिवरात्रि की पूजा बहुत सरल है. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा से पहले मन को शांत करें.
  • शिवलिंग या शिवजी के चित्र के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें. संकल्प करते समय शुभ विचार रखें.
  • शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करें. अर्पण के समय शिव नाम स्मरण करें.
  • इसके बाद बेलपत्र, फल और पुष्प अर्पित करें. बेलपत्र साफ और पूरा हो यानी कटाफटा न हो.
  • पूजा के समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. मन और सांस में शिव-ध्यान धारण करें.
  • अंत में शिव पार्वती की आरती कर भोग लगाएं. आरती के बाद क्षमा याचना जरूर करें.

ध्यान रखने योग्य बातें

शिव पूजा में तुलसी और केतकी पुष्प का प्रयोग न करें. पूरे दिन संयम रखें. वाणी में मधुरता और मन में शांति बनाए रखें. जरूरतमंद की सहायता करना भी शिव भक्ति का ही रूप माना गया है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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