Kharmaas 2025 Date: हिंदू पंचांग में हर माह का अपना धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है. इन्हीं में से एक है खरमास. यह वह समय होता है जब शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन या नया व्यवसाय शुरू करना वर्जित माना जाता है. आइए जानते हैं खरमास क्या है, खरमास 2025 की सही तिथि, इसका महत्व और इस दौरान क्या करें और क्या नहीं?
खरमास क्या है?
हिंदू धर्म में खरमास एक ऐसा एक माह का समय है जिसे शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए अनुपयुक्त माना गया है. यह अवधि तब शुरू होती है, जब सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशियों, धनु या मीन में प्रवेश करते हैं. इस पूरे महीने को अशुभ काल माना जाता है. यह साल में दो बार आता है, एक बार धनु संक्रांति के समय, दिसंबर-जनवरी में और दूसरी बार मीन संक्रांति के समय, मार्च-अप्रैल में.
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खरमास की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास का संबंध सीधे भगवान सूर्य से जुड़ा है. एक कथा के अनुसार, सूर्य देव प्रतिदिन अपने रथ पर सवार होकर आकाश में भ्रमण करते हैं. उनके रथ को 7 घोड़े खींचते हैं, जो सूर्य की तेजस्विता और गति का प्रतीक माने जाते हैं. कहा जाता है कि वर्ष में एक बार सूर्य देव अपने इन 7 घोड़ों को आराम देने के लिए विश्राम कराते हैं. इस विश्राम के दौरान सूर्य अपने रथ को 'खर' यानी 'गधों' से बाँध देते हैं.
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गधों की चाल धीमी होने के कारण सूर्य का रथ भी धीरे-धीरे चलता है. यही कारण है कि इस समय को 'खरमास' कहा जाता है. गधों की धीमी गति के प्रतीकात्मक अर्थ के अनुसार, इस अवधि में ऊर्जा, उत्साह और गति में कमी मानी जाती है. इसलिए इस महीने को नए आरंभ, शुभ कार्यों और मांगलिक आयोजनों के लिए अनुपयुक्त माना जाता है.
कब लगेगा खरमास 2025?
इस वर्ष खरमास 16 दिसंबर 2025 से शुरू होगा. इस दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है. इसके साथ ही खरमास का आरंभ माना जाता है. यह अवधि लगभग एक महीने तक रहेगी और 14 जनवरी 2026 को समाप्त होगी, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी दिन मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाएगा, जो शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत का संकेत होता है.
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खरमास क्यों होता है अशुभ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य बृहस्पति की राशियों धनु या मीन में प्रवेश करता है, तो सूर्य और बृहस्पति दोनों ग्रहों की ऊर्जा प्रभावित होती है. इस दौरान सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है और गुरु की शुभता में कमी आती है. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, शुभ कार्यों के लिए सूर्य और गुरु का बली होना आवश्यक होता है, जो खरमास में अनुकूल नहीं होता है. इसलिए इस अवधि को अशुभ और निष्क्रिय माना जाता है.
इन कार्यों से करें परहेज
खरमास में नए कार्यों की शुरुआत करना वर्जित होता है. इसका कारण यह है कि ऐसे कार्य इस दौरान किए जाएं तो उनका फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता, ऐसा माना जाता है. ऐसे कार्य हैं- सगाई या विवाह करना, भूमि पूजन और गृह प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना, नया घर या वाहन खरीदना और नामकरण या मुंडन संस्कार आदि.
इस समय करें ये शुभ कार्य
हालांकि खरमास में शुभ कार्य रुक जाते हैं, लेकिन धार्मिक साधना और पुण्य कर्म करने का यह श्रेष्ठ समय माना गया है.
- भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें.
- दान-पुण्य, भोजन वितरण और तीर्थयात्रा करना अत्यंत फलदायी होता है.
- प्रतिदिन सूर्य अर्घ्य दें और गायत्री मंत्र का जाप करें.
- धार्मिक ग्रंथों जैसे गीता, रामचरितमानस या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.