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Kaalchakra: कुंडली के किस भाव में केतु के होने से मिलता है शुभ-अशुभ फल? पंडित सुरेश पांडेय से जानें महत्व

केतु ग्रह जब भी किसी भाव में मौजूद होते हैं तो उसके कारण व्यक्ति के जीवन में बदलाव आता है। चलिए पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं केतु के किस भाव में मौजूद होने से व्यक्ति के जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ता है। साथ ही आपको उस दौरान करने वाले उपाय भी पता चलेंगे।

केतु कब देते हैं शुभ-अशुभ फल? जानें
जन्म कुंडली का ज्योतिष शास्त्र में खास महत्व है। ये एक नक्शा है, जो व्यक्ति के जन्म के समय आकाश मंडल में मौजूद ग्रह, नक्षत्र और राशियों की स्थिति को दर्शाता है। इसकी मदद से व्यक्ति के भूतकाल, वर्तमान और भविष्य से जुड़े कई जरूरी सवालों के जवाब मिल सकते हैं। कुंडली में कुल 12 भाव यानी घर होते हैं, जिनकी अपनी विशेषता है। जब जिस भाव में कोई ग्रह मौजूद होता है तो उसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। आज के कालचक्र में प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय आपको बता रहे हैं कि जन्म कुंडली के किस भाव में केतु के होने से व्यक्ति के जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ता है। साथ ही आपको इस दौरान ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय भी पता चलेंगे।

केतु ग्रह का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का वर्णन किया गया है, जिसमें से एक केतु भी है। ये एक छाया ग्रह है, जो मोक्ष, वैराग्य, ज्ञान और आध्यात्म आदि के दाता हैं। इसके अलावा केतु ग्रह तर्क, कल्पना, बुद्धि और मानसिक गुणों को भी दर्शाता है। प्रत्येक 18 माह में केतु राशि परिवर्तन करते हैं, जिसके बीच कई बार केतु का नक्षत्र गोचर भी होता है।
  • पहले भाव में केतु
कुंडली के पहले भाव में केतु है तो व्यक्ति को पत्नी से संबंध अच्छे बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। जबकि जन्म कुंडली में लग्न के पहले भाव में केतु के होने पर व्यक्ति को किसी भी तरह का गलत काम करने से बचना चाहिए। साथ ही बच्चों की आदतें न बिगाड़ें, डरे नहीं और गलत संगत से उन्हें बचाने का प्रयास करें। इसके अलावा पढ़ाई में बिल्कुल भी लापरवाही न दिखाएं। मन की चंचलता पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें और अपने विरोधियों से सतर्क रहें। इस दौरान बंदरों को नियमित गुड़ खिलाना भी आपके लिए शुभ रहेगा। उपाय-
  • गणेश जी की प्रतिमा को अपने घर में रखें और 'गण गण गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें।
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  • दूसरे भाव में केतु
जिन लोगों की कुंडली में केतु दूसरे भाव में है, उन्हें अपनी वाणी पर ध्यान देना चाहिए। किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें और मां का ध्यान रखें। माता से लड़ाई करने से बचें। इस दौरान सेहत को लेकर लापरवाही न बरतें। इसके अलावा गलत काम और गलत संगत से बचें व अपने चरित्र का ध्यान रखें। यदि ससुराल पक्ष से संबंध खराब हैं तो उन्हें सुधारें वरना परेशान रहेंगे। साथ ही अपने खर्चे संभालें, धर्म के विरुद्ध न जाएं, पैतृक संपत्ति को लेकर सावधान रहें, भ्रमित होने से बचें और फालतू के कार्यों में पैसे खर्च न करें।

उपाय-

  • अपने माथे पर रोजाना हल्दी या केसर का तिलक लगाएं।
  • कुत्ते को रोटी खिलाएं।
  • गुरुवार या एकादशी का उपवास जरूर रखें।
  • मंदिर में श्रमदान करें।
यदि आप अन्य 10 भाव से जुड़े उपाय व सावधानियों के बारे में जानना चाहते हैं तो इसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देखें। ये भी पढ़ें- Apara Ekadashi 2025: एकादशी व्रत में भूलकर भी न करें ये 9 गलतियां, विष्णु जी हो सकते हैं नाराज
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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