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Gita Jayanti 2025: गीता जयंती कब है और क्यों मनाई जाती है? जानें तिथि, महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

Gita Jayanti 2025: श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दू धर्म का सबसे पवित्रतम धार्मिक ग्रंथ है. साथ ही, इसमें भारतीय दर्शन को अर्जुन-कृष्ण संवाद के माध्यम से सहज ढंग से समझाया गया है. आइए जानते हैं, इस दिव्य ग्रंथ का अवतरण-दिवस यानी जयंती साल 2025 में कब पड़ेगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

Gita Jayanti 2025: श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय दर्शन, धर्म और जीवन शैली का एक सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है. यह केवल एक धार्मिक किताब मात्र नहीं है, बल्कि संपूर्ण मानव जात के लिए एक अनमोल गाइड है, जिसमें भारत के प्राचीनतम उपनिषदों और वेदों के ज्ञान का सार है. इस महान ग्रंथ को एक बेहद सरल संवाद, अर्जुन और कृष्ण के बीच के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, जिसे कम से कम पढ़ा-लिखा इंसान भी समझ लेता है. आइए जानते हैं, साल 2025 इस दिव्य ग्रंथ का अवतरण दिवस यानी जयंती कब है, इसका महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

गीता जयंती 2025 कब है?

महाभारत के रचयिता वेद व्यास के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इसलिए हर साल इस तिथि को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस साल श्रीमद्भगवद्गीता गीता की 5162वां वर्षगांठ यानी जयंती मनाई जाएगी. इस साल यह जयंती सोमवार 1 दिसंबर, 2025 को पड़ रही है. आपको बता दें कि मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत भी रखा जाता है.

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भगवान कृष्ण ने कितनी देर दिया था उपदेश?

महाकाव्य महाभारत की मानें तो गीता का प्रवचन या संवाद लगभग 'दो घड़ी' चला था. हिन्दू समय गणना विधि में एक घड़ी 24 मिनट की होती है. इस प्रकार गीता का संवाद लगभग 48 मिनट के बराबर माना जाता है. लेकिन गीता में 700 श्लोक हैं और यह संवाद के रूप में हैं, इसलिए कुछ विद्वानों को मानना है कि यह अवधि 45 मिनट से लेकर 2 घंटे के बीच हो सकता है. इन विद्वानों के अनुसार, यह एक लंबी अवधि है, जो अधिक यथार्थवादी है. आपको बता दे कि यह भगवान कृष्ण ने यह उपदेश दिन के दोपहर में दिया था, जब कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों की सेनाएं युद्ध के लिए तैयार खड़ी थीं.

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गीता का महत्व और उपयोगिता

श्रीमद्भगवद्गीता धर्म के साथ एक नीति ग्रंथ भी है. यह सिखाती है कि हमें फल की चिंता किए बिना अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ करना चाहिए. यह मॉडर्न कल्चर के लिए एक महान प्रेरणा है. कहते हैं, गीता के अध्ययन से मन शांत रहता है और यह जीवन के सुख और दुख जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी समभाव बनाए रखने की शक्ति देती है. भारतीय संस्कृति में गीता को एक पवित्रतम ग्रंथ माना जाता है. यही कारण है कि कोर्ट-कचहरी में आज भी सत्यता और निष्ठा की शपथ इस ग्रंथ पर हाथ रखकर दिलाई जाती है.

गीता जयंती 2025: शुभ मुहूर्त

द्रिक पंचांग के अनुसार गीता जयंती के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि रविवार 30 नवंबर, 2025 को रात 9:29 PM बजे प्रारंभ होगी और यह तिथि सोमवार 1 दिसंबर को शाम 7:01 PM बजे समाप्त होगी. इसलिए गीता जयंती 1 दिसंबर, 2025 को मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्य हर्षवर्धन शांडिल्य के अनुसार, इस दिन गीता पूजा का श्रेष्ठ दोपहर में अभिजित मुहूर्त में 11:49 AM से 12:31 PM तक है. इस दिन के लिए अन्य शुभ समय इस प्रकार हैं:

- ब्रह्म मुहूर्त: 05:08 ए एम से 06:02 ए एम
- विजय मुहूर्त: 01:55 पी एम से 02:37 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त: 05:21 पी एम से 05:48 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या: 05:24 पी एम से 06:45 पी एम
- अमृत काल: 09:05 पी एम से 10:34 पी एम

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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