देवशयनी एकादशी का महत्व
बहुत से हिन्दू श्रद्धालु पूरे साल में दो एकादशी जरूर करते हैं, पहला देवशयनी एकादशी और दूसरा देवोत्थान एकादशी। देवशयनी एकादशी पर जहां भगवान विष्णु क्षीरसागर में अनंत शैय्या पर योगनिद्रा में चले जाते हैं, वहीं देवोत्थान एकादशी पर वे निद्रा से जागृत होते हैं। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी का व्रत रखने, पूजा पाठ उपवास रखने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं। पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन उपवास या उपवास करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का जाप करने से भय, रोग और शोक से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की उपासना से धन संकट को दूर हो जाते हैं।भगवान विष्णु सोते क्यों हैं?
4 माह सोएंगे भगवान तो कैसे होगी पूजा?
चातुर्मास के 4 माह में भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं। प्रचलित मान्यता है कि इस अवधि में हिन्दू घरों में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास में हिन्दू घरों में सगाई, मंगनी, विवाह, उपनयन, मुंडन, भूमि पूजन और गृह प्रवेश नहीं किए जाते हैं। साथ ही 16 हिन्दू संस्कारों में से अंत्येष्टि को छोड़ कर बहुत से संस्कार भी नहीं किए जाते हैं। लेकिन दैनिक पूजा-पाठ, व्रत और त्योहार करने पर कोई पाबंदी नहीं होती है यानी चातुर्मास में भी सभी व्रत और पूजा-पाठ कर सकते हैं।चातुर्मास में ये देवता देते हैं फल
सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक के इन चार महीनों को हिन्दू धर्म चातुर्मास कहा गया है। चूंकि इस अवधि में भगवान विष्णु के सोए रहते हैं, इसलिए अनिष्ट शक्तियों के उदय होने की आशंका रहती है। इसे देखते हुए हिन्दू धर्म में सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक के महीनों के देवता निश्चित कर दिए गए हैं। सावन में शिव पूजा का विधान है। वहीं भादों में भगवान गणेश और श्रीकृष्ण की पूजा से पुण्य-फल मिलता है। जबकि आश्विन माह में देवी दुर्गा की पूजा और आराधना से जीवन सुखमय होता है। वहीं, कार्तिक मास में भगवान कार्तिकेय और सूर्य पूजा से जीवन में आरोग्य और समृद्धि बढती है। बता दें, चातुर्मास में भगवान भोलेनाथ और शिव परिवार की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि चातुर्मास में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। ये भी पढ़ें: हर 12 साल में सीधे शिवलिंग पर गिरती है इंद्र के वज्र की बिजली, टूटकर फिर जुड़ जाते हैं महादेव ये भी पढ़ें: पांव में धंसा तीर, सुन्न पड़ गया शरीर…इस रहस्यमय तरीके से हुई भगवान कृष्ण की मृत्यु!
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