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Chhath Puja 2025: स्विमिंग पूल में खड़े होकर क्या सूर्य देव को अर्घ्य देना सही है? पंडित सुरेश पांडेय से जानें

Chhath Puja 2025 Date: हर साल महिलाएं पूरे विधि-विधान से छठ पूजा करती हैं. इस पूजा में पवित्र घाट पर जाकर सूर्य देव को संध्या और उषा अर्घ्य दिया जाता है. लेकिन कई बार सोसाइटी या बंगलों में रहने वाले लोगों के लिए घाट पर जाना संभव नहीं होता है. ऐसे में वो अपने घर या सोसाइटी के स्विमिंग पूल में ही छठ पूजा का आयोजन करते हैं. परंतु सवाल ये उठता है कि धार्मिक दृष्टिकोण से क्या ऐसा करना उचित है? आइए, इस विषय में प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं.

Credit- News 24 Gfx

Chhath Puja 2025 Date: प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने में आस्था, पवित्रता, प्रकृति पूजा और सामाजिक बंधन को मजबूत बनाने वाला महान पर्व छठ मनाया जाता है, जिसका अनुष्ठान कुल चार दिनों तक चलता है. खासकर, बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में मुख्य रूप से छठ पर्व की धूम देखने को मिलती है. इस बार 25 अक्टूबर 2025, वार शनिवार से छठ पर्व की शुरुआत हो रही है. छठ पर्व के तीसरे और चौथे दिन सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके लिए अधिकतर लोग घाट पर जाते हैं.

हालांकि, कई बार सोसाइटी या बंगलों में रहने वाले लोगों के लिए घाट पर जाना संभव नहीं होता है. ऐसे में वो अपने घर या सोसाइटी के स्विमिंग पूल में छठ पूजा का आयोजन करते हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि धार्मिक दृष्टिकोण से क्या ऐसा करना सही है? आइए प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय से इस विषय में जानते हैं.

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क्या स्विमिंग पूल में खड़े होकर कर सकते हैं छठ पूजा?

प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय के अनुसार, छठ पूजा के दौरान सूर्य देव को संध्या और उषा अर्घ्य स्विमिंग पूल में खड़े होकर दिया जा सकता है. धार्मिक दृष्टिकोण से ऐसा करना उचित है. लेकिन इस दौरान स्विमिंग पूल का शुद्ध होना बेहद जरूरी है. इसलिए पूजा से पहले स्विमिंग पूल की सफाई जरूर करें.

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छठ पूजा का कैलेंडर

छठ पूजा के 4 दिन क्या-क्या होता है?

छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय होता है, जिस दौरान व्रती महिलाएं पवित्र नदी में स्नान करती हैं. साथ ही इस दिन सात्विक भोजन किया जाता है, जिसके अगले दिन लोहंड़ा और खरना की पूजा करने के बाद निर्जला व्रत का संकल्प लिया जाता है. वहीं, तीसरे दिन छठी मैय्या की पूजा की जाती है और संध्या अर्घ्य यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जबकि चौथे दिन उषा अर्घ्य यानी उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह प्रक्रिया शाम को शुरू होती है, जो अगले दिन की सुबह पूरी होती है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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