Daan Ka Mahatva: सनातन धर्म के लोगों के लिए दान का खास महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दान करना पुण्य कार्य माना जाता है जिससे साधक को पापों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही घर-परिवार में खुशियों का आगमन होता है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि कब, कैसे और किन चीजों का दान करने से व्यक्ति को पुण्य मिलता है? अगर नहीं, तो चलिए भारतीय योग गुरु आचार्य प्रतिष्ठा से जानते हैं सबसे बड़ा दान क्या है।
दान का महत्व
आचार्य प्रतिष्ठा का कहना है कि, 'दान तो हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। दान हमें अहंकार मुक्त बनाता है। दान में क्या देंगे जो आपके पास है वो ही तो दान देंगे। कभी-कभी कुछ लोग कहते हैं कि मैंने सब त्याग दिया। लेकिन जिस पर कुछ है ही नहीं वो क्या त्यागेगा? त्यागने के लिए आपके पास कुछ होना चाहिए।'
इसी के आगे आचार्य प्रतिष्ठा ने कहा, 'हमने अपने जीवन में जो कुछ भी अर्जित किया है उसका 10% दान अवश्य करना चाहिए। ज्यादातर लोग दान को अक्सर धन से जोड़ते हैं। लेकिन आप अपने ज्ञान का दान दे रहे हो तो वो भी दान है। जो ज्ञान आपने प्राप्त किया है उसका 10% फ्री ऑफ कॉस्ट उन लोगों को दान करना चाहिए जो उसे अफोर्ड नहीं कर पा रहे हैं।'
सबसे बड़ा दान क्या है?
आगे आचार्य प्रतिष्ठा कहती हैं कि, 'दान कई प्रकार के होते हैं। यज्ञ को सबसे बड़ा दान कहा गया है क्योंकि वो गुप्त दान है। वहां पर आप बिना बताए दे रहे हैं। गुप्त दान करने से व्यक्ति के भीतर मौजूद अहंकार खत्म होता है। इसलिए हमारे शास्त्रों में दान की परंपरा को विशेष महत्व दिया गया है।'
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