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“40 गांव-40 साल”; पहली बार मिलेगा वोटिंग का अधिकार, बस्तर के इन गांवों के लिए इलेक्शन क्यों है खास?

Chhattisgarh Assembly Election: बस्तर जिले में इस बार के विधानसभा चुनाव बहुत खास होने जा रहे हैं क्योंकि यहां के 40 नक्सल प्रभावित गांवों के लोगों को 40 साल में पहली बार मतदान करने का मौका मिलेगा। ऐसे में नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव कराना आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।

Bastar Assembly Election: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ चुनाव आयोग भी तैयारियों में जुटा हुआ है। वहीं, बस्तर जिले में इस बार के विधानसभा चुनाव बहुत खास होने जा रहे हैं क्योंकि यहां के 40 नक्सल प्रभावित गांवों के लोगों को 40 साल में पहली बार मतदान करने का मौका मिलेगा। ऐसे में नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव कराना आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। छत्तीसगढ़ में कई ऐसे इलाके हैं, जहां नक्सलियों का बहुत प्रभाव रहा है। उन्हीं में बस्तर जिले के ये 40 अति नक्सल प्रभावित गांव हैं, जहां 40 साल बाद मतदान के लिए मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। पहले ये नक्सल प्रभावित गांव इतने खतरनाक थे कि इनमें सुरक्षित मतदान करा पाना संभव नहीं था। बता दें कि माओवादी संगठन के चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बाद चुनाव आयोग ने पूरी सावधानी के साथ इन इलाकों में चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी है और सुरक्षित मतदान कराने की बात कही है।

दोबारा खोले जा रहे हैं 120 मतदान केंद्र

सरकार द्वारा पिछले पांच वर्षों में इन अति नक्सल प्रभावित इलाकों में 60 से अधिक सुरक्षा बल कैंप बनाए गए हैं और अब पुलिस के मुताबिक ये इलाके इतने सुरक्षित हैं कि वहां मतदान कराया जा सकता है। इन गांवों में 120 मतदान केंद्र दोबारा खोले जा रहे हैं। इसके लिए चुनाव आयोग ने पोलिंग पार्टियों को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

7 नवंबर को बस्तर संभाग के सभी जिलों में होंगे मतदान

बस्तर में आगामी 7 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए सुरक्षा बलों की तैयारी के बारे में बताते हुए आईजीपी सुंदरराज ने कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 7 नवंबर को बस्तर संभाग के सभी सात जिलों में वोटिंग होनी है। उसी व्यवस्था को लेकर प्रशासन की तैयारी चल रही है और हम पूरी चुनाव प्रक्रिया को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए अपनी कोशिश कर रहे हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि इस बार चुनाव प्रक्रिया में सभी व्यवस्थाएं काफी अच्छी होंगी। उन्होंने आगे कहा कि नक्सली समस्या के कारण बंद या स्थानांतरित किए गए कुछ मतदान केंद्रों को पुन: स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। यह भी पढ़ें- रायपुर विधानसभा के इतिहास में दर्ज है अनोखा रिकॉर्ड, 3 अलग-अलग पार्टियों से विधायक बने थे तरूण चटर्जी

मतदाता और मतदान केंद्रों के बीच की दूरी को कम करना

सुंदरराज ने कहा कि हम 2018 के चुनावों की तुलना में 2023 में सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि देखेंगे। उसी के तहत, कुछ मतदान केंद्र ऐसे हैं, जो पहले माओवादी समस्या के कारण बंद कर दिए गए होंगे या निकटतम पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिए गए हैं, उन सभी मतदान केंद्रों को उन गांवों में फिर से स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए लगभग 120 मतदान केंद्रों की पहचान की गई है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा प्रयास मतदाता और मतदान केंद्रों के बीच की दूरी को कम करने का होगा, ताकि अधिक से अधिक संख्या में मतदाता मतदान केंद्रों पर जा सकें और अपना वोट डाल सकें।  


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