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2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने बनाया मास्टर प्लान; पहचान रही विरोधियों की ताकत

BJP Master Plan For Misson Repeat in 2024 Lok Sabha Election : भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत का सफर जारी रखने के लिए दूसरी पार्टियों की कमजोरी को अपनी मजबूती बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं।

मानस/नई दिल्ली देश में 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ-साथ विभिन्न राजनैतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं। इसी बीच प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने विरोधियों को चारों खाने चित करने के लिए एक बड़ा मास्टर प्लान तैयार किया है। यह प्लान है सेंधमारी का। पार्टी नेतृत्व ने जिला स्तर पर दूसरी पार्टियों के प्रभावशाली नेताओं की सूची तैयार करवानी शुरू कर दी है।

भाजपा को हराने के लिए विरोधियों ने बनाया I.N.D.I.A.

इस बात में कोई दो राय नहीं कि भाजपा दूसरी पार्टियों के मजबूत नेताओं को अपने साथ मिलने का प्रयोग पहले भी कर चुकी है। इस बार भी जब लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस समेत देश के 26 राजनैतिक दल एक मंच पर आ चुके हैं। इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A.) बना लिया है। हालांकि इस धड़े में बहुत कुछ नाराजगियां भी जगजाहिर हो चुकी हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश चुनाव के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टभ्, जनता दल यूनाइटेड और आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े करके गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी थी। इसके उलट भाजपा नेतृत्व अपने ही हिसाब से काम कर रहा है। पार्टी ने समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस में सेंधमारी की तैयारी शुरू कर दी है। इस प्लान के तहत जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक विपक्षी दलों के ऐसे प्रभावशाली नेताओं को चिह्नित  किया जा रहा है, जो अपनी पार्टी में उपेक्षित हैं, लेकिन मतदाताओं के बीच उनका प्रभाव है। पढ़ें राजेश पायलट की अदावती का 20 साल पुराना किस्सा, जिसका जिक्र पीएम मोदी ने कल चुनावी सभा में किया

2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भी की थी भाजपा ने सेंधमारी

उल्लेखनीय है कि इस तरह का अभियान भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भी चलाया था, जब उत्तर प्रदेश में भाजपा में शामिल हुए राकेश सचान को योगी आदित्यनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद दे दिया गया। इसी तरह पंजाब कांग्रेस में भी जब आपसी घमासान के चलते पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने प्रभाव के बूते कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतार दिया। बाद में न सिर्फ पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह, बल्कि उसे वक्त कांग्रेस के प्रदेश प्रधान रहे सुनील जाखड़, पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी समेत बहुत से नेता भाजपा में शामिल हो गए। इतना ही नहीं, सुनील जाखड़ को भाजपा ने वही कमान सौंप दी। यह भी पढ़ें: Rajasthan में जीत का ब्रह्मास्त्र बनेगी गुर्जर पॉलिटिक्स, देखें इन्हें साधने को भाजपा-कांग्रेस ने क्या-क्या चले दांव?

अब जिला अध्यक्षों को दी गई नई जिम्मेदारी

अब इसी प्रयोग को दोहराने के लिए पार्टी ने सभी जिला अध्यक्षों को दूसरी पार्टियों के ऐसे नेताओं को चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं, जो किसी न किसी वजह से नाराज या साइडलाइन पर चल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इस मिशन को धरातल पर उतारने के लिए भाजपा नेतृत्व ने प्रदेश स्तर पर एक कमेटी के गठन का भी फैसला लिया है। यह तय माना जा रहा है कि विरोधियों की कमजोरी को ही भाजपा अपनी मजबूती बनाकर मिशन रिपीट के लिए मैदान में उतरेगी।

बीजेपी के प्रति दूसरे दलों में आकर्षण की बड़ी वजह

उधर, दूसरे दलों से आने वाले नेताओं में बीजेपी के प्रति आकर्षण की वजह यूं ही नहीं है। बसपा से आने वाले बृजेश पाठक हो या फिर पिछली सरकार में स्वामी प्रसाद मौर्य रहे हों, रीता बहुगुणा जोशी से लेकर जितिन प्रसाद तक कांग्रेस को छोड़ भाजपा में आए। कोई डिप्टी सीएम बना तो कोई कैबिनेट मंत्री तो कोई सांसद, इसलिए विपक्षी दलों के नाराज नेताओं को भी लगता है कि बीजेपी के साथ जाने उनकी राजनीति ज्यादा चमक-दमक वाली हो सकती है।


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