Opinion : मुस्लिम देश जिस सख्ती से इजरायल के खिलाफ हैं उतनी सख्ती आतंक के खिलाफ दिखाएं तो आतंकवाद ही खत्म हो जाए
IOC जितनी सख्ती से इजरायल के खिलाफ है उतनी सख्ती आतंक के खिलाफ दिखाता तो आज दुनिया से आतंकवाद 'खत्म' हो जाता।
पंकज सोनी
Hamas-Israel war : हमास-इजरायल युद्ध के बीच गाजा के अस्पताल में हमले में सैकड़ों लोगों की मौत के बाद मुस्लिम वर्ल्ड में इजरायल के खिलाफ गुस्सा है। पिछले दो दिन से अरब समेत तमाम मुस्लिम देशों में इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग इजराइल के खिलाफ रैली निकालकर नारेबाजी कर रहे हैं। हालांकि इजरायल और फिलिस्तीनी उग्रवादियों ने मंगलवार देर रात अस्पताल पर हुए हमले के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है। लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह आंदोलन और फिलिस्तीनी गुटों के आह्वान के बाद पूरे क्षेत्र में गुस्साई भीड़ इजरायल के खिलाफ सड़क पर उतरी। बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में हिज़्बुल्लाह समर्थकों ने "डेथ ऑफ अमेरिका, डेथ ऑफ इसराइल के नारे लगाए।
मुस्लिम देशों में इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन और आतंकवाद पर मौन
संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन में इजरायल के साथ संबंध स्थापित किए थे। गाजा में अस्पताल पर इजरायली हमले के बाद आलोचना कर रहे हैं। सऊदी अरब ने फिलहाल इजरायल के साथ संभावित संबंधों पर बातचीत रोक दी है। हमास के मुख्य समर्थकों में एक कतर ने इसे 'क्रूर नरसंहार' बताया है। 2020 में इजरायल को मान्यता देने वाले देश मोरक्को ने हमले के लिए इजरायल को दोषी बताया है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने इजरायली बमबारी की कड़े शब्दों में निंदा की है। तुर्की में बुधवार को दूसरे दिन विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने इस्तांबुल में इजराइली वाणिज्य दूतावास को बंद करने की मांग की।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगन ने तुर्की में तीन का शोक घोषित किया है। युद्धग्रस्त यमन की राजधानी सना में बड़े पैमाने पर इजरायल के खिलाफ विरोध हुआ, जो ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों द्वारा नियंत्रित था। अल्जीरिया ने हमले की निंदा करते हुए इसे "कब्जे वाली ताकतों" द्वारा किया गया "बर्बर कृत्य" बताया है। ट्यूनीशिया में, हजारों फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों ने फ्रांसीसी दूतावास के बाहर रैली की और इजरायल के लिए पश्चिमी समर्थन की निंदा की। लीबिया की त्रिपोली स्थित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार ने अस्पताल की हड़ताल को 'घृणित अपराध' कहा।
आईओसी ने इजरायल को युद्ध अपराधी बताया
हमास- इजरायल जंग के बीच 57 मुस्लिम देशो के समूह इस्लामी सहयोग संगठन (IOC) ने बैठक बुलाकर इजरायल पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगा दिया और इजरायल के गाजा पर हमले को युद्ध अपराध बता दिया। साथ ही इजरायल को सजा देने की मांग तक कर डाली। लेकिन हमास के खिलाफ IOC ने किसी भी तरह की कार्रवाई करने की मांग नहीं की। IOC कभी मोहम्मद पैगंबर की आलोचना पर नाराजगी जताने के लिए सामने आता है, तो कभी भारत में हिजाब मामले पर बयान देने लगता है। लेकिन जब दुनिया में कहीं आतंकवादी हमला होता है तो मौन रहता है।
आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से क्यों खड़े नहीं होते IOC और इस्लामिक देश
दुनिया भर में 57 मुस्लिम देशों का समूह इस्लामी सहयोग संगठन (IOC) एक संगठन है। इसकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार मुस्लिम हितों की रक्षा करना, मुस्लिम देशों में एकता स्थापित करना, इस्लाम का संरक्षण और इसकी रक्षा करना एवं इसकी निंदा का विरोध करना संगठन का मुख्य काम हैं। यह संगठन और मुस्लिम वर्ल्ड मुस्लिम देशों पर किसी भी प्रकार के हमले की आलोचना करता है। आज फिलिस्तान के समर्थम में यह संगठन और मुस्लिम दुनिया के देश खड़े हैं। मानवता के लिए आवाज उठाना अच्छी बात है, लेकिन जब हमास ने इजरायल पर हमला किया तब इस संगठन और मुस्लिम देशों ने हमास के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। हमास के खिलाफ सड़कों पर नहीं उतरे। यहां तक कि IOC और मुस्लिम वर्ल्ड के देश आतंकवाद के खिलाफ बयानों में औपचारिक आलोचना करने के अलावा कोई ठोस कदम उठाते आज तक नहीं दिखे।
57 देशों का समूह अगर आतंकवाद के खिलाफ जंग छेड़ दे तो आतंकवादी गतिविधियां तो दूर की बात हैं कोई आतंकी भी नहीं पनप सकता। दुनिया के किसी भी देश में जह आतंकी हमला होता है और इस्लामी आतंकियों पर आरोप लगाता है या इस्लामी आतंकी संगठन खुद इसकी जिम्मेदारी लेते हैं तब IOC बैठक बुलाकर उनके युद्ध अपराधी क्यों करार नहीं देता। मुस्लिम देशों में आतंक के खिलाफ प्रदर्शन क्यों नहीं होता। अगर मुस्लिम देश और आईओसी को वास्तव में मानवता की फिक्र है तो दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ जंग क्यों नहीं छेड़े देते।
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