World Kindness Day 2025: दुनिया में कितने ही लोग हैं जो दुखी हैं या किसी तरह की पीड़ा से गुजर रहे हैं. हम अक्सर ही लोगों का बुरा व्यवहार देखकर कह देते हैं कि दुनिया में मानो इंसानियत बची ही नहीं है. लेकिन, ऐसे कुछ दयालु लोग भी हैं जो रोते हुए को हंसाने की कोशिश करते हैं, जो गिरते को संभालते हैं और जरूरतमंद को सहारा देते हैं. संसार जीने के लिए एक अच्छा स्थान बने इसके लिए लोगों में उदारता भाव जरूरी है, दयालुता (Kindness) होना और मन में प्रेम होना जरूरी है. इसी उदारभाव का महत्व समझाने के लिए हर साल 13 नवंबर के दिन विश्व दयालुता दिवस मनाया जाता है. कहते हैं अच्छे गुण बच्चों में छोटी उम्र से ही डाल दिए जाएं तो उनका परिणाम जीवनभर नजर आता है. ऐसे में यहां जानिए किस तरह माता-पिता बचपन से ही बच्चों में उदार भाव ला सकते हैं या उन्हें काइंडनेस यानी दयालुता के बारे में सिखा सकते हैं.
बच्चों को कैसे सिखाएं दयालुता | How To Teach Children Kindness
दूसरों के दर्द से कराएं अवगत
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बच्चे अक्सर इतने लाड़-प्यार में बड़े होते हैं कि किसी दुखियारे का दर्द ही नहीं समझ पाते. माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा हर दुख से दूर रहे, लेकिन, बच्चे को उसके बबल (Bubble) में ही ना रहने दें, उसमें अहं ना आने दें और ना ही उसे किसी और के दुख के प्रति असंवेदनशील बनाएं. बच्चे को बताएं कि दूसरे लोग किन तकलीफों से गुजरते हैं और इसीलिए उसका उनके प्रति सम्मान और दयालुता का भाव रखना जरूरी है.
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लड़ाई-झगड़ा ना सीखे
अपने माता-पिता को लड़ता देखने वाले बच्चे अक्सर ही लड़ाई-झगड़े की आदत डाल लेते हैं. बच्चे लड़ाई करना या हिंसक होना सीखते हैं तो दूसरों के प्रति दयालुता का भाव नहीं ला पाते. बच्चों को चीजें प्यार से हैंडल करना सिखाएं. बच्चों को बताएं कि जब वह किसी व्यक्ति या जानवर को मारते हैं तो इससे उन्हें तकलीफ होती है और ऐसा नहीं करना चाहिए.
शब्दों का महत्व समझाएं
बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि उनके शब्दों (Words) में कितनी पावर है. बच्चा क्या कहता है और किसी को किस तरह से ट्रीट करता है इसका बच्चे को ख्याल रखना जरूरी है. बच्चे को थैंक्यू, सॉरी और प्लीज कहना सिखाएं. उसे सिखाएं कि जब कोई दुख में होता है तो उससे यह पूछना जरूरी है कि आप कैसे हैं या मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूं.
बच्चे से फीलिंग्स के बारे में बात करें
बच्चे को हर फीलिंग से अवगत कराएं, उसे उसकी फीलिंग्स एक्सप्रेस करने के लिए भी कहें और उससे पूछें कि जब उसे रोना आता है तो प्यार से कही गई बात उसे अच्छी लगती है ना, इसी तरह कोई व्यक्ति किस दुख में है हमें नहीं पता और हमें उसके दुख को कम करने की कोशिश करनी चाहिए, उससे प्यार से बात करनी चाहिए और जान-बूझकर तकलीफ देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
जो कह रहे हैं वो करके दिखाएं
पैरेंट्स अगर खुद दयालु नहीं होंगे, अंहकारी होंगे और दूसरों को सही तरह से ट्रीट नहीं करेंगे तो बच्चे भी यही सीखेंगे और फॉलो करेंगे. इसीलिए पैरेंट्स जो चीजें बच्चों को सिखाना चाहते हैं वही उन्हें खुद भी फॉलो करनी चाहिए.
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